भारत अक्टूबर के पहले हफ्ते में ‘कोल्ड स्टार्ट’ नाम का बड़ा सैन्य अभ्यास करने वाला है। ये एक्सरसाइज ड्रोन और उन्हें रोकने वाली तकनीक यानी काउंटर-ड्रोन सिस्टम की जांच के लिए होगी। इस ड्रिल में ये परखा जाएगा कि हमारी एयर डिफेंस सिस्टम कितनी मजबूत है और किन जगहों पर सुधार की जरूरत है।
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, ये ड्रिल ऑपरेशन सिंदूर के बाद की सबसे बड़ी तैयारी होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,
दिल्ली में मंगलवार को आयोजित “काउंटर UAVs और एयर डिफेंस सिस्टम्स” सम्मेलन में एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वे भी भारत जैसा बनने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमें हमेशा एक कदम आगे रहना होगा।
एयर मार्शल ने कहा कि PHD चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) के आकलन के मुताबिक आने वाले 5-6 साल में भारत में 10 हजार से ज्यादा ड्रोन होंगे। यह अनुमान मुख्यालय आईडीएस (HQ IDS) की टेक्नोलॉजी रोडमैप रिपोर्ट के आधार पर लगाया गया है।
एयर मार्शल दीक्षित ने आगे कहा कि सम्मेलन में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर भी चर्चा हुई, जिसमें भारत की काउंटर-ड्रोन और एयर डिफेंस तकनीकों की सफलता पर जोर दिया गया।
इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (ऑपरेशंस) के डिप्टी चीफ राकेश सिन्हा ने कहा कि आने वाले समय में युद्ध की दिशा ड्रोन और उन्हें रोकने वाली तकनीकों के बीच की होड़ से तय होगी। उन्होंने कहा कि भविष्य का हर संघर्ष इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन-सा देश अपने ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम को ज्यादा आधुनिक और कारगर बना पाता है।
उन्होंने जोर दिया कि काउंटर-ड्रोन सिस्टम तभी सफल होंगे जब उनमें तीन अहम खूबियां हों। पहली, वे दुश्मन के ड्रोन की सटीक पहचान कर सकें। दूसरी, उनमें आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से तुरंत और सही प्रतिक्रिया देने की क्षमता हो। तीसरी, वे मौजूदा वायु रक्षा प्रणालियों के साथ सहज तालमेल बैठा सकें।

