ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक ने विधानसभा चुनाव में हार को लेकर पहली बार बात की। उन्होंने शनिवार 8 जून को मीडिया से बात करते हुए कहा कि मेरी हार के लिए वीके पांडियन की आलोचना करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
पटनायक ने कहा कि पांडियन ने IAS पद से इस्तीफा देकर BJD जॉइन की और पार्टी के लिए बिना किसी स्वार्थ के काम किया। उन्होंने पार्टी में कोई भी पद नहीं लिया। कहीं से चुनाव भी नहीं लड़ा। एक ऑफिसर के रूप में उन्होंने 10 साल तक बहुत अच्छा काम किया।
बीजद अध्यक्ष ने कहा- साइक्लोन और कोरोना काल में पांडियन का काम सराहनीय था। वे ईमानदार व्यक्ति हैं। उन्हें उनकी ईमानदारी के लिए हमेशा याद रखा जाना चाहिए। हालांकि, जहां तक उत्तराधिकारी का सवाल है, मैंने पहले भी कहा था कि वे उत्तराधिकारी नहीं है। इसका फैसला जनता करेगी।
पटनायक बोले- मेरा स्वास्थ्य बिलकुल ठीक
चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने रैली में कहा था कि पटनायक का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। इस पर पटनायक ने कहा- मेरा स्वास्थ्य हमेशा से ठीक ही था। आगे भी रहेगा। आपने देखा कि मैंने पिछले महीने इतनी तेज गर्मी में भी पार्टी के लिए लंबा कैंपेन चलाया। मेरे स्वास्थ्य की अटकलों पर जवाब देने के लिए मेरा कैंपेन देखना काफी होगा।
पटनायक बोले- लोकतंत्र में हार जीत होती रहती है
विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हारने में पटनायक ने कहा- मुझे लगता है कि हमने हमेशा कोशिश की है। बेहतरीन काम किया है। हमारी सरकार और पार्टी में लोगों को गर्व करने के लिए बहुत कुछ है। लोकतंत्र में आप या तो जीतते हैं या हारते हैं। लंबे समय के बाद हारने पर हमें लोगों के फैसले को शालीनता से लेना चाहिए।
हार के बाद पांडियन की क्यों हो रही थी आलोचना
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, वीके पांडियन का पार्टी में प्रभाव नवीन पटनायक की हार का बड़ा कारण था। विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने ही प्रत्याशियों का चयन किया। पार्टी की ओर से प्रचार का पूरा जिम्मा भी उठाया।
BJD के स्टार प्रचारकों में 40 नाम थे, लेकिन नवीन और पांडियन के अलावा पार्टी के किसी और नेता को किसी मंच पर रोड शो पर नहीं देखा गया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, CM के पास पहुंचने वाली फाइलों पर भी पांडियन के डिजिटल हस्ताक्षर होते थे। उनके बिना कोई फैसला नहीं लिया जाता था।
पांडियन का पार्टी में दबदबे की वजह से स्थानीय BJD के नेता नाराज थे और यही उनकी हार का बड़ा कारण माना गया। इसी कारण हार के बाद पांडियन की आलोचना हुई।
वीके पांडियन को पटनायक का उत्तराधिकारी क्यों कहा गया ?
पहली वजह: पटनायक 77 साल के हैं। बढ़ती उम्र के कारण उन्हें स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें भी हैं। उनकी शादी नहीं हुई है। बीजेडी में कोई भी नेता नहीं है, जो उन्हें रिप्लेस कर सके।
दूसरी वजह: वीके पांडियन। आरोप है कि ओडिशा में बीते कुछ समय से वे ही सरकार चला रहे थे। उन्हें नवीन का उत्तराधिकारी कहा जा रहा है।
तमिलनाडु में जन्मे वीके पांडियन को भाजपा ओडिशा की राजनीति में ‘बाहरी’ कहती रही है। पांडियन ने दिल्ली में अपनी पढ़ाई की। उन्होंने पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया था। हालांकि उड़िया महिला से शादी करने के बाद ओडिशा कैडर में ट्रांसफर ले लिया।

