दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (5 अगस्त) को अरविंद केजरीवाल की CBI की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। साथ ही जमानत याचिका के लिए निचली अदालत जाने को कहा है।
कोर्ट ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि CBI ने केजरीवाल की गिरफ्तारी बिना किसी ठोस कारण के की। कोर्ट ने 29 जुलाई को इसी मामले में हुई सुनवाई में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई में CBI ने कहा कि केजरीवाल ही दिल्ली शराब नीति केस के असली सूत्रधार हैं। उनकी गिरफ्तारी के बिना मामले की जांच नहीं की जा सकती थी। एक महीने के भीतर हमने चार्जशीट दाखिल कर दी थी।
कोर्ट के फैसले पर AAP ने कहा कि सीएम केजरीवाल की CBI की गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। साथ ही जमानत के लिए अपील भी करेंगे।
CBI ने केजरीवाल को 26 जून को अरेस्ट किया था। ED ने केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। हालांकि 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत दे दी थी, लेकिन CBI केस के चलते वह जेल में ही हैं।
केजरीवाल इस मामले के सूत्रधार हैं, उन्हें जमानत नहीं मिलनी चाहिए। जैसे-जैसे उनकी जांच आगे बढ़ी, हमें अरविंद केजरीवाल को फंसाने वाले सबूत मिले। केजरीवाल सहित 6 व्यक्तियों के नाम से चार्जशीट दायर की गई थी, लेकिन उनमें से पांच को गिरफ्तार नहीं किया गया। हमने अपनी जांच पूरी कर ली है और एक महीने के भीतर चार्जशीट दायर की है।
अरविंद केजरीवाल ने कैबिनेट प्रमुख के तौर पर आबकारी नीति पर साइन किए। इसे अपने सहयोगियों को भेजा और एक ही दिन में उनके साइन भी लिए। ये सब कोविड-19 के दौरान हुआ।
मनीष सिसोदिया के अधीन IAS अधिकारी सी. अरविंद ने गवाही दी कि विजय नायर आबकारी नीति की एक कॉपी कंप्यूटर में सेव करने के लिए लाए थे। उस समय अरविंद केजरीवाल मौजूद थे। सब कुछ केजरीवाल के सामने ही हुआ।
जांच एजेंसी ने जांच में पाया कि 44 करोड़ रुपए गोवा भेजे गए थे। केजरीवाल ने यहां पार्टी उम्मीदवारों को पैसे की चिंता न करने और चुनाव लड़ने पर ध्यान देने का ऑर्डर दिया था। डायरेक्ट सबूत की कमी हो सकती है, लेकिन गवाहों की गवाही, जिसमें 3 गवाह और अदालत में दिए गए 164 बयान शामिल हैं। ये साफ करता है कि मामले में केजरीवाल भी शामिल हैं।
इस तरह के सबूत केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद ही सामने आए, क्योंकि पंजाब के अधिकारी सामने नहीं आते। कुछ हालात में हाईकोर्ट को जमानत आवेदनों पर सीधे सुनवाई करने की अनुमति देती हैं, लेकिन यह जमानत की सुनवाई के लिए पहली अदालत नहीं हो सकती।
CBI ने अंतिम चार्जशीट दाखिल कर दी है और केस चलाने के लिए तैयार है।
केजरीवाल के वकील मनु सिंघवी की दलीलें
यह मामला इंश्योरेंस अरेस्टिंग का रिप्रेजेंटेशन करता है। केजरीवाल को ED मामले में तीन बार जमानत दी गई है। CBI की केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से कोई घटनाक्रम नहीं हुआ है। जमानत और रिट याचिकाओं के बीच का अंतर मामले की योग्यता को प्रभावित नहीं करता है।
दिल्ली शराब नीति 9 इंटर-मिनिस्ट्री कमेटियों का परिणाम थी, जिसमें अलग-अलग विभागों के अधिकारी शामिल थे। यह नीति एक साल के विचार-विमर्श के बाद जुलाई 2021 में लाई गई थी।
केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 8 अगस्त तक बढ़ी
वहीं, दिल्ली शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार केस में 25 जुलाई को राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इसमें कोर्ट ने केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 8 अगस्त तक बढ़ा दी थी। वहीं, ED के मनी लॉन्ड्रिंग केस में भी केजरीवाल 31 जुलाई तक जेल में ही थे। ED ने उन्हें 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। उसके बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें कस्टडी में भेज दिया था।
ED केस में 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत दी थी
अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को अंतरिम जमानत दी थी। जस्टिस संजीव खन्ना ने जमानत देते हुए कहा था कि केजरीवाल 90 दिन से जेल में हैं। इसलिए उन्हें रिहा किए जाने का निर्देश देते हैं। हम जानते हैं कि वह चुने हुए नेता हैं और ये उन्हें तय करना है कि वे मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं या नहीं।
जस्टिस खन्ना ने कहा था कि हम ये मामला बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर रहे हैं। गिरफ्तारी की पॉलिसी क्या है, इसका आधार क्या है। इसके लिए हमने ऐसे 3 सवाल भी तैयार किए हैं। बड़ी बेंच अगर चाहे तो केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर बदलाव कर सकती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी अभी तक उनकी तरफ से बेल बॉन्ड नहीं भरा गया है।
ED ने 9 जुलाई को शराब नीति केस में 7वीं सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी
9 जुलाई को ED ने दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में सातवीं सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की थी। 208 पेज की इस चार्जशीट में दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल को केस का सरगना और साजिशकर्ता बताया गया। चार्जशीट में कहा गया कि स्कैम से मिला पैसा आम आदमी पार्टी पर खर्च हुआ।
ED ने चार्जशीट में कहा है कि केजरीवाल ने 2022 में हुए गोवा चुनाव में AAP के चुनाव अभियान में यह पैसा खर्च किया। दावा किया गया है कि केजरीवाल ने शराब बेचने के कॉन्ट्रैक्ट के लिए साउथ ग्रुप के सदस्यों से 100 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी थी, जिसमें से 45 करोड़ रुपए गोवा चुनाव पर खर्च किए गए थे।
ED ने जोर देकर कहा कि केजरीवाल ने दावा किया कि AAP के पूर्व मीडिया प्रभारी और इस केस के सह-आरोपी विजय नायर ने उनके नहीं, बल्कि मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज के अधीन काम किया था। इसमें यह भी दावा किया गया है कि CM ने कहा कि दुर्गेश पाठक गोवा के राज्य प्रभारी थे और फंड का प्रबंधन करते थे और फंड से संबंधित निर्णयों में उनकी खुद कोई भूमिका नहीं थी और उन्हें भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता से रिश्वत नहीं मिली थी।

