सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि लीगल सिस्टम को लगातार हाशिए पर रहे समुदायों को दबाने के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा, ‘अमेरिका में भेदभाव करने वाले कानूनों के बनने से गुलामी प्रथा को बढ़ावा मिला। जिम क्रॉ के कानूनों के जरिए स्थानीय लोगों को निशाना बनाया गया।’
उन्होंने आगे कहा- अमेरिका और भारत दोनों देशों में लंबे समय तक कई समुदायों को वोट डालने का अधिकार नहीं दिया गया। इस तरह कानून का इस्तेमाल पावर स्ट्रक्चर को बनाए रखने और भेदभाव को बढ़ावा देने के लिए किया गया।
इसका खामियाजा हाशिए पर रहे समुदायों को लंबे समय तक उठाना पड़ा। समाज में होने वाले भेदभाव और अन्याय को सामान्य माना जाने लगा। कुछ समुदाय समाज की मुख्य धारा से अलग हो गए। इसके चलते हिंसा और बहिष्कार की घटनाएं हुईं।
आने वाली पीढ़ियों को भी हो सकता है नुकसान: CJI चंद्रचूड़
CJI चंद्रचूड़ ने यह बातें रविवार को छठवीं ‘इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन द अनफिनिश्ड लेगेसी ऑफ डॉ. बीआर अंबेडकर’ में कहीं। इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन अमेरिका की ब्रैंडिस यूनिवर्सिटी में हुआ।
इस दौरान उन्होंने कहा है कि लीगल सिस्टम ने हाशिए पर रहे समुदायों के खिलाफ इतिहास में हुई गलतियों को कायम रखने में अहम भूमिका निभाई। हाशिए पर रहने वाले सोशल ग्रुप्स को भेदभाव, पूर्वाग्रह और गैर-बराबरी का शिकार होना पड़ा। CJI ने आगे कहा कि भेदभाव वाले कानूनों के पलटे जाने के बाद भी कई पीढ़ियों को इनका नुकसान उठाना पड़ सकता है।

