मिग-21 जेट 1963 में पहली बार भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। यह भारत का पहला सुपरसोनिक जेट था यानी ये आवाज की गति (332 मीटर प्रति सेकेंड) से तेज उड़ सकता था।
फाइटर जेट की आखिरी 2 स्क्वाड्रन (36 मिग‑21) राजस्थान के बीकानेर में नाल एयरबेस पर तैनात है। इन्हें नंबर 3 स्क्वाड्रन कोबरा और नंबर 23 स्क्वाड्रन पैंथर्स के नाम से जाना जाता है।
मिग-21 जेट ने 1965 के भारत-पाक युद्ध, 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम, 1999 के कारगिल युद्ध और 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब इसकी जगह तेजस Mk1A फाइटर एयरक्राफ्ट लेंगे।
रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 400 से ज्यादा मिग-21 विमान क्रैश हुए हैं। इसमें 200 से ज्यादा पायलट मारे गए गए हैं। इसी वजह से फाइटर प्लेन को ‘उड़ता ताबूत’ और ‘विडो मेकर’ कहा जाता है।
भारत ने 900 मिग-21 जेट खरीदे, अब केवल 36 बचे
भारत ने 900 मिग-21 फाइटर जेट खरीदे थे। इनमें से 660 हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने देश में ही बनाए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस समय भारतीय वायुसेना के बेड़े में सिर्फ 36 मिग-21 फाइटर जेट ही बचे हैं। इसने कई दशकों तक बेहतरीन सेवा दी।
बालाकोट एयर स्ट्राइक में विंग कमांडर अभिनंदन का MiG क्रैश हुआ था
फरवरी 2019 पुलवामा अटैक में भारत के 40 जवान शहीद हुए थे। इसके 2 हफ्ते बाद 26 फरवरी को वायुसेना ने मिग जेट्स से बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंप पर एयर स्ट्राइक की थी।
इसके बाद पाकिस्तान ने 27 फरवरी को भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की। इस एरियल अटैक में विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान का MiG-21 बाइसन भी क्रैश हो गया था। उन्हें पाकिस्तान ने बंधक बना लिया था। हालांकि बाद में भारत उन्हें वापस ले आया।
रूस और चीन के बाद भारत मिग-21 का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर रहा है। 1964 में इस विमान को पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के तौर पर एयरफोर्स में शामिल किया गया था। शुरुआती जेट रूस में बने थे और फिर भारत ने इस विमान को असेंबल करने के राइट्स और टेक्नीक भी हासिल कर ली थी।
तब से अब तक मिग-21 ने 1971 के भारत-पाक युद्ध, 1999 के कारगिल युद्ध समेत कई मौकों पर अहम भूमिका निभाई है। रूस ने तो 1985 में इस विमान का निर्माण बंद कर दिया, लेकिन भारत इसके अपग्रेडेड वैरिएंट का इस्तेमाल करता रहा।

