New Delhi/Atulya Loktantra : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रेलवे ने ट्रैक के आस पास कब्ज़ा कर सालों से बनी झुग्गियां हटाने का ऑपरेशन शुरू कर दिया है. अभी महामारी और आरपीएफ की उपलब्धता के आधार पर ऑपरेशन की रफ्तार और तीव्रता आने वाले समय पर निर्भर करेगी. रेलवे का कहना है कि रेलवे की जमीन पर सालों से कब्जा जमाए बैठे झुग्गी वालों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अवगत कराने वाला पब्लिक नोटिस भी दिया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ये आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के भीतर नई दिल्ली में 140 किलोमीटर लंबी रेल पटरियों के आसपास की लगभग 48,000 झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने का आदेश दिया है और आगे निर्देश दिया है कि कोई भी अदालत झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने पर कोई स्टे न दे.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि रेलवे लाइन के आसपास अतिक्रमण के संबंध में यदि कोई अदालत अंतरिम आदेश जारी करती है तो यह प्रभावी नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश एम.सी मेहता मामले में पारित किया गया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट 1985 के बाद से दिल्ली और उसके आसपास प्रदूषण से संबंधित मुद्दों पर समय-समय पर आदेश जारी करती रहती है.
राजनीतिक दबाव और दखलंदाजी को बर्दाश्त नहीं की जाएगी- सुप्रीम कोर्ट
रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दिल्ली-एनसीआर में 140 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन के साथ झुग्गीवासियों का अतिक्रमण है, जिसमें 70 किलोमीटर लाइन के साथ यह बहुत ज्यादा है जो कि करीब 48000 झुग्गियां हैं. रेलवे ने कहा कि एनजीटी ने अक्टूबर 2018 में आदेश दिया था जिसके तहत इन झुग्गी-बस्ती को हटाने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया था लेकिन राजनीतिक दखलंदाजी के चलते रेलवे लाइन के आसपास का यह अतिक्रमण हटाया नहीं जा सका है. रेलवे ने कहा कि इसमें काफी अतिक्रमण तो रेलवे के सुरक्षा जोन में है जो कि बेहद चिंताजनक है.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि ये झुग्गी बस्ती हटाने के लिए चरणबद्ध तरीके से काम किया जाए और रेलवे सुरक्षा जोन में सबसे पहले अतिक्रमण हटाया जाए, जो कि तीन महीने में पूरा कर दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा है कि रेलवे लाइन के आसपास अतिक्रमण हटाने के काम में किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव और दखलंदाजी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.