हाईकमान की नाराजगी का ही असर है कि अभी तक सिद्धू से बातचीत की कोई पहल नहीं की गई है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि हाईकमान के तेवर से साफ है कि अब सिद्धू को मनाने की कोशिश नहीं की जाएगी। पंजाब में नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मंथन का काम भी शुरू कर दिया गया है। प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में रवनीत सिंह बिट्टू (Ravneet Singh Bittu) सबसे आगे बताए जा रहे हैं।
सिद्धू के रवैए से आलाकमान नाराज
कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि सिद्धू की ओर से इस्तीफे के अचानक एलान से आलाकमान काफी नाराज है। आलाकमान ने मंगलवार को राज्य के नेताओं को आपसी मतभेद सुलझाने की नसीहत दी थी। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के सुझावों की अनदेखी करते हुए सिद्धू की प्रदेश अध्यक्ष पद पर ताजपोशी की गई थी। मगर उनके अध्यक्ष बनने के बाद से पार्टी में लगातार संकट बना हुआ है।
सिद्धू के काम करने के अंदाज और अचानक इस्तीफे से नाराज आलाकमान ने इसीलिए विकल्पों पर विचार शुरू कर दिया है। पार्टी नेतृत्व की ओर से अभी तक सिद्धू से कोई बातचीत नहीं की गई है। इसे भी आलाकमान की नाराजगी का ही नतीजा माना जा रहा है।
पंजाब कांग्रेस का संकट सुलझाने में पार्टी के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत की अभी तक बड़ी भूमिका रही है। पहले उनका बुधवार को चंडीगढ़ जाने का कार्यक्रम था। मगर अब रावत का चंडीगढ़ दौरा भी टाल दिया गया है। रावत का दौरा टल जाने से अब यह साफ हो गया है कि पार्टी नेतृत्व की ओर से सिद्धू को मनाने की कोशिश नहीं की जाएगी। पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं । ऐसे में सिद्धू के इस्तीफे से पार्टी की जमकर किरकिरी हुई है। यही कारण है कि पूरे संकट के लिए अब सिद्धू को ही जिम्मेदार माना जा रहा है।
अभी तक मंजूर नहीं हुआ है इस्तीफा
हालांकि पार्टी नेतृत्व की ओर से अभी तक सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। पार्टी नेतृत्व सिद्धू को कुछ समय देना चाहता है ताकि वे अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकें मगर यदि सिद्धू का पुराना तेवर ही बरकरार रहा तो पार्टी हाईकमान की ओर से अब सख्त कदम उठाए जाने की तैयारी भी की जा रही है। मुख्यमंत्री चन्नी ऐसे मंत्रियों पर नजर रख रहे हैं, जो इस संकट के समय आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। पार्टी के जानकार सूत्रों का कहना है कि ऐसे मंत्रियों पर भी आगे चलकर कार्रवाई की जा सकती है।
संकट सुलझाने पर चल रहा है मंथन
कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोध को दरकिनार करते हुए गत 23 जुलाई को पार्टी हाईकमान की ओर से सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया था। अध्यक्ष बनने के बाद सिद्धू ने कई मौकों पर अपनी ही पार्टी की सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) के शपथ लेने के बाद किए गए कई फैसलों में अपनी अनदेखी से सिद्धू नाराज बताए जा रहे हैं। इसी कारण उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है।
चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद सिद्धू का व्यवहार बिल्कुल सुपर सीएम की तरह दिख रहा था। मगर चन्नी ने कई मामलों में सिद्धू के फैसले नहीं माने। इसी के बाद दोनों के बीच मतभेद पैदा हुए जिसकी परिणति सिद्धू के इस्तीफे के रूप में सामने आई। सिद्धू के समर्थन में पार्टी में अभी तक कई और इस्तीफे भी हो चुके हैं। पार्टी हाईकमान इस सिलसिले को खत्म कर पंजाब कांग्रेस का संकट सुलझाने की कोशिश में जुट गया है। दिल्ली में उच्च स्तर पर गहराई से पूरे मामले पर मंथन किया जा रहा है।