लोकसभा में विपक्ष के उप नेता और कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने रविवार को चुनाव आयोग (EC) की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि विपक्ष चाहता है कि मतदाता सूची में संशोधन को लेकर संसद में खुलकर चर्चा हो, लेकिन सरकार इसे टाल रही है।
असम कांग्रेस की कार्यकारिणी बैठक से पहले मीडिया से गोगोई ने कहा कि आज जनता के मन में चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर संदेह है। सरकार इस पर चर्चा से क्यों भाग रही है? क्या यह बीते विधानसभा और लोकसभा चुनावों में की गई किसी गड़बड़ी को छिपाने की कोशिश है?
वहीं, जब कांग्रेस नेता से पूछा गया कि सरकार का तर्क है कि चुनाव आयोग किसी विभाग के अंतर्गत नहीं आता, इसलिए इस पर चर्चा नहीं हो सकती। गोगोई बोले- ये बेतुकी बाते हैं, मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री और सरकार करती है, ऐसे में जवाबदेही भी बनती है।
गोगोई बोले-शाह ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी नहीं ली
गोगोई ने ऑपरेशन सिंदूर पर कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों के प्रति न तो संवेदना जताई और न ही खुफिया विफलता की जिम्मेदारी ली, जो उनके मंत्रालय के अधीन है।
बैठक में कांग्रेस की आगामी रणनीति पर विस्तार से चर्चा हो रही है। असम की 126 विधानसभा सीटों पर चुनाव अगले साल मार्च-अप्रैल में संभावित हैं।
राहुल ने 4 आरोप लगाए थे
2014 से ही मुझे इलेक्शन सिस्टम पर संदेह रहा है। भाजपा का इतनी बड़ी जीत हासिल करना आश्चर्यजनक था। मैं बिना सबूत के कुछ नहीं कह सकता था, लेकिन अब मैं बिना किसी संदेह के कहता हूं कि हमारे पास सबूत हैं।
लोकसभा में, हम चुनाव जीते। और फिर चार महीने बाद, हम न केवल हारे, बल्कि पूरी तरह से खत्म हो गए। हमने पाया कि महाराष्ट्र में, लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच एक करोड़ नए मतदाता जुड़े। इनमें से ज्यादातर वोट भाजपा को जाते हैं।
संविधान की रक्षा करने वाली संस्था को मिटाकर उस पर कब्जा कर लिया गया है। हमारे पास ऐसे सबूत हैं जो पूरे देश को दिखा देंगे कि चुनाव आयोग जैसी संस्था का कोई अस्तित्व ही नहीं है। यह गायब हो गई है।
चुनाव आयोग जैसी संस्था ठीक से काम नहीं करती। आपको जानकर हैरानी होगी कि चुनाव आयोग जो दस्तावेज उपलब्ध कराता है, उन्हें स्कैन या कॉपी नहीं किया जा सकता। चुनाव आयोग मतदाता सूची पर स्कैन और कॉपी प्रोटेक्शन क्यों लागू करता है?

