शादी का झांसा देकर एक लड़की से कई बार दुष्कर्म की शिकायत में सूरत की सत्र न्यायालय ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान आरोपी को बरी कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सहमति से यौन संबंध बनाने के बाद शादी से इनकार करना दुष्कर्म का मामला नहीं बनता।
पीड़िता ने आरोपी के साथ होटल और रेस्टोरेंट में बिना किसी दबाव के अपना पहचान पत्र दिया था, इसलिए उसके साथ कोई जबरदस्ती नहीं की गई। कोर्ट ने कहा- इसके बाद भी पीड़िता को जब पता चल गया था कि युवक से विवाह संभव नहीं है तो भी उसने शारीरिक संबंध बनाए।
सोशल मीडिया से हुई थी पहचान
दर्ज शिकायत के मुताबिक, सूरत के डिंडोली इलाके में रहने वाला आरोपी एमटेक की पढ़ाई कर रहा था। इसी दौरान उसकी मुलाकात पीड़िता से हुई और उनके बीच प्रेम संबंध बन गए। पहली चैटिंग इंस्टाग्राम पर हुई। उसके बाद दोनों मिले। धीरे-धीरे दोस्ती हुई और फिर प्यार।
इस दौरान दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन गए। प्रेमिका ने दर्ज शिकायत में कहा कि आरोपी ने शादी का वादा किया था और बाद में जब वह मुकर गया तो पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। करीब 3 साल तक मामला चलने के बाद गुरुवार को कोर्ट का फैसला आया।
लड़की ने बताया कि 30 से 35 बार शारीरिक संबंध बनाए
सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि अन्य मेडिकल सबूतों के अलावा, डीएनए रिपोर्ट भी पीड़िता और आरोपी के नमूनों से मेल नहीं खाती। इसके अलावा, डॉ. शाहिद की गवाही में यह दर्ज किया गया कि पीड़िता ने मेडिकल टेस्ट के दौरान बताया था कि उसने 30 से 35 बार शारीरिक संबंध बनाए थे।
इससे बचाव पक्ष को शक हुआ कि पीड़िता निम्फोमेनिया से पीड़ित है। अक्सर महिलाओं में पुरुषों की तुलना में शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा ज़्यादा होती है, जिसे निम्फोमेनिया कहते हैं।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने रेप के एक मामले में कहा है कि पीड़िता बालिग है और लंबे समय तक युवक को पति मानकर शारीरिक संबंध बनाई है तो फिर इसे दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। इससे यह स्पष्ट है कि वह अपनी इच्छा से साथ रह रही थी।

