प्रधानमंत्री मोदी रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) मुख्यालय केशव कुंज पहुंचे। वे सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक यहां रहे। उन्होंने संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी) के स्मारक स्मृति मंदिर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी।
बतौर प्रधानमंत्री मोदी का यह संघ मुख्यालय का पहला दौरा था। इससे पहले जुलाई 2013 में वह लोकसभा चुनाव के सिलसिले में हुई बैठक में शामिल होने नागपुर आए थे। प्रधानमंत्री ने संघ के माधव नेत्रालय के एक्सटेंशन बिल्डिंग की आधारशिला रखी।
प्रधानमंत्री मोदी ने 34 मिनट की स्पीच में देश के इतिहास, भक्ति आंदोलन, इसमें संतों की भूमिका, संघ की नि:स्वार्थ कार्य प्रणाली, देश के विकास, युवाओं में धर्म-संस्कृति, स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, शिक्षा, भाषा और प्रयागराज महाकुंभ की चर्चा की।
उन्होंने संघ की तारीफ करते हुए कहा- राष्ट्रीय चेतना के लिए जो विचार 100 साल पहले संघ के रूप में बोया गया, वो आज महान वट वृक्ष के रूप में दुनिया के सामने हैं। ये आज भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को लगातार ऊर्जावान बना रहा है। स्वयंसेवक के लिए सेवा ही जीवन है। हम देव से देश, राम से राष्ट्र का मंत्र लेकर चल रहे हैं।
- भारत की आजादी
PM मोदी ने कहा कि भारत के इतिहास में नजर डालें तो इसमें कई आक्रमण हुए। इतने आक्रमणों के बावजूद भी भारत की चेतना कभी समाप्त नहीं हुई, उसकी लौ जलती रही। कठिन से कठिन दौर में भी इस चेतना को जाग्रत रखने के लिए नए सामाजिक आंदोलन होते रहे। भक्ति आंदोलन इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
मध्यकाल के उस कठिन कालखंड में हमारे संतों ने भक्ति के विचारों से राष्ट्रीय चेतना को नई ऊर्जा दी। गुरु नानक देव, कबीरदास, तुलसीदास, सूरदास, संत तुकाराम, संत रामदेव, संत ज्ञानेश्वर जैसे महान संतों ने अपने मौलिक विचारों से समाज में प्राण फूंके। उन्होंने भेदभाव के बंधनों को तोड़कर समाज को एकता के सूत्र में बांधा।

