NCP (शरद गुट) के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा है कि सनातन धर्म ने भारत को बर्बाद कर दिया। सनातन धर्म नाम का कोई धर्म कभी था ही नहीं। इसकी विचारधारा विकृत है। हम हिंदू धर्म के अनुयायी हैं।
उन्होंने आरोप लगाया- इसी तथाकथित सनातन धर्म ने हमारे छत्रपति शिवाजी महाराज को राज्याभिषेक से वंचित रखा, छत्रपति संभाजी महाराज को बदनाम किया। इसके अनुयायियों ने ज्योतिराव फुले की हत्या की कोशिश की।
आव्हाड ने कहा कि सावित्रीबाई फुले पर गोबर और गंदगी फेंकी गई। इसी सनातन धर्म ने शाहूजी महाराज की हत्या की साजिश रची। इसने डॉ. बीआर अंबेडकर को पानी पीने और स्कूल जाने तक नहीं दिया।
आव्हाड ने ये भी कहा कि बाबासाहेब अंबेडकर ही थे, जो सनातन धर्म के खिलाफ उठे, मनुस्मृति को जलाया और उसकी दमनकारी परंपराओं को खारिज किया।
आव्हाड का ये बयान मालेगांव ब्लास्ट के सभी 7 आरोपियों को बरी किए जाने और भगवा आतंकवाद पर जारी राजनीतिक बहस के बीच आया है। महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को धमाका हुआ था। इसमें 6 लोग मारे गए थे और करीब 100 लोग घायल हुए थे। मालेगांव ब्लास्ट केस की शुरुआती जांच महाराष्ट्र ATS ने की थी। 2011 में केस NIA को सौंप दिया गया था।
31 जुलाई: मालेगांव ब्लास्ट के सभी आरोपी बरी किए गए
महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट केस के सभी 7 आरोपियों को NIA स्पेशल कोर्ट ने 31 जुलाई को बरी कर दिया था। फैसले के बाद कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा था कि आतंकवादियों के लिए ‘भगवा’ शब्द का प्रयोग न करके ‘सनातन’ या ‘हिंदुत्ववादी’ शब्दों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
मेरे मुख्यमंत्री काल (महाराष्ट्र) में ‘सनातन’ संगठन की आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता थी। इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने के लिए मैंने एक गोपनीय रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी थी। उसी संदर्भ में मैंने ‘सनातन’ शब्द का इस्तेमाल किया था, क्योंकि उस संगठन का कार्य आतंकवादी प्रवृत्ति का था। इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए था।
1 अगस्त: भाजपा ने कांग्रेस पर लगाए आरोप
भाजपा सांसद संबित पात्रा ने 1 अगस्त को भगवा आतंकवाद और सनातन आतंकवादी जैसे शब्दों के इस्तेमाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा था।
उन्होंने कहा था- कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चौहान ने दो बातें कही हैं। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, जो तुष्टिकरण का प्रतीक है। साथ ही वे हिंदू आतंकवादी या सनातन आतंकवादी जैसे शब्द भी इस्तेमाल कर जाते हैं। सुशील कुमार शिंदे ने अपने एक सम्मेलन में ‘भगवा आतंक’ शब्द का इस्तेमाल किया था।
कुछ साल पहले जब शिंदे से पूछा गया था कि क्या उन्हें अब भी ‘भगवा आतंक’ शब्द का इस्तेमाल करना सही लगता है, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा था कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें इस शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कहा था।
हम सब जानते हैं कि वे किसके बारे में बात कर रहे थे। गांधी परिवार ने उन पर ‘भगवा आतंक’ शब्द का इस्तेमाल करने के लिए दबाव डाला था।

