विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) के संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने का समर्थन किया।
जयशंकर ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, ‘SCO का एक देश चाहता था कि संयुक्त बयान में आतंकवाद का कोई जिक्र न हो। वो देश कौन है, आप अंदाजा लगा सकते हो। जबकि यह संगठन खुद आतंकवाद से लड़ने के उद्देश्य से बनाया गया था।
जयशंकर ने कहा, भारत का यह कदम केवल एक कूटनीतिक विरोध नहीं था, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सिद्धांतों की रक्षा का प्रतीक था। आतंकवाद और शांति एक साथ नहीं चल सकते।
जयशंकर बोले- एक परिवार राष्ट्र से ऊपर, तब इमरजेंसी लगी
जयशंकर शुक्रवार को दिल्ली में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर भी निशाना साधा।
जयशंकर ने कहा- यह सब एक परिवार की वजह से हुआ। ‘किस्सा कुर्सी का’ नाम की एक फिल्म है, और ये तीन शब्द आपातकाल लागू करने के पीछे की वजह को बखूबी बताते हैं। जब एक परिवार को राष्ट्र से ऊपर माना जाता है, तो आपातकाल जैसी चीजें होती हैं।
अब जानिए SCO में स्टेटमेंट से जुड़ा विवाद क्या है…
चीन के किंगदाओ में गुरुवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई। इसमें भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ, दोनों शामिल हुए थे। हालांकि, राजनाथ सिंह ने पाकिस्तानी रक्षा मंत्री से मुलाकात नहीं की।
उन्होंने SCO के जॉइंट स्टेटमेंट पर साइन करने से भी इनकार कर दिया। क्योंकि उसमें जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को शामिल नहीं किया गया था, जबकि पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हुई आतंकी घटना का जिक्र था। भारत ने इससे नाराजगी जाहिर की।
राजनाथ सिंह ने बैठक में कहा, ‘कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति मानते हैं। वे आतंकवादियों को पनाह देते हैं। फिर इसे इनकार करते हैं। ऐसे डबल स्टैंडर्ड के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। उन्हें समझना होगा कि अब आतंकवाद के एपिसेंटर सेफ नहीं हैं।

