राज्यसभा में अंबेडकर को लेकर अपनी टिप्पणी पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि संसद में बात तथ्य और सत्य के आधार पर होनी चाहिए। भाजपा के सदस्यों ने ऐसा ही किया। जब साबित हो गया कि कांग्रेस अंबेडकर विरोधी पार्टी है, आरक्षण विरोधी है, संविधान विरोधी है, तो कांग्रेस ने अपनी पुरानी रणनीति अपनाते हुए बयानों को तोड़ना-मरोड़ना शुरू कर दिया।
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी से मांग की कि गृह मंत्री अमित शाह को रात 12 बजे से पहले बर्खास्त कर दें। खड़गे ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर पर अमित शाह की टिप्पणी को बुधवार शाम करीब साढ़े चार बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी और शाह एक-दूसरे के पापों और बातों का बचाव करते हैं।
दरअसल, गृह मंत्री शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान कहा था , ‘अभी एक फैशन हो गया है। अंबेडकर, अंबेडकर… इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।’ कांग्रेस ने इसे अंबेडकर का अपमान बताते हुए शाह के इस्तीफे की मांग की है।
- कांग्रेस ने कल से तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस अंबेडकर विरोधी पार्टी है, आरक्षण विरोधी है, संविधान विरोधी है। पार्टी ने सावरकर का भी अपमान किया, आपातकाल लगाकर संविधान के सारे मूल्यों की धज्जियां उड़ा दीं, कांग्रेस ने नारी सम्मान को भी सालों दरकिनार किया, न्यायपालिका का अपमान किया, शहीदों का अपमान किया, भारत की भूमि को संविधान तोड़कर विदेशी ताकतों को देने की हिमाकत की।
- कांग्रेस ने अंबेडकर को भारत रत्न नहीं मिलने दिया
शाह ने कहा कि कांग्रेस ने खुद ही अपने आपको भारत रत्न दिया, नेहरू ने 1955 में, इंदिरा ने 1971 में खुद को भारत रत्न दिया। 1990 में अंबेडकर को तब भारत रत्न मिला जब कांग्रेस सत्ता में नहीं थी। अंबेडकर को भारत रत्न ना मिले इसका प्रयास कांग्रेस करती रही।
कांग्रेस ने अंबेडकर के न रहने के बाद कांग्रेस ने उन्हें हाशिये पर धकेलने का प्रयास किया। कांग्रेस ने 1951-52 और 1954 में बाबा साहेब को हराने की कोशिश की थी। अंबेडकर की 100वीं जयंती मनाने से इनकार कर दिया था।

