वोट चोरी के आरोप पर विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा में सोमवार दोपहर 2 बजे भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के सफल अंतरिक्ष मिशन पर चर्चा शुरू हुई। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि आज देश शुभांशु के लौटने पर सफल अंतरिक्ष मिशन का जश्न मना रहा है, लेकिन विपक्ष अभी भी हंगामा कर रहा है और चर्चा को तैयार नहीं है। विपक्ष एस्ट्रोनॉट से नाराज कैसे हो सकता है।
वोटर वेरिफिकेशन और वोट चोरी के आरोप पर विपक्ष संसद में मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ला सकता है। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि पार्टी जरूरत पड़ने पर महाभियोग प्रस्ताव समेत सभी लोकतांत्रिक तरीकों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है। हालांकि अभी तक कोई औपचारिक चर्चा नहीं हुई है।
लोकसभा और राज्यसभा में सोमवार को भी विपक्ष का बिहार वोटर वेरिफिकेशन को लेकर हंगामा जारी रहा। विपक्षी सांसदों ने वोट चोर गद्दी छोड़ और वी वॉन्ट जस्टिस के नारे लगाए। इसके कारण दोनों सदन दोपहर 12 बजे तक और दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
दोपहर 2 बजे दोनों सदन में दोबारा कार्यवाही शुरू हुई। कुछ ही देर की चर्चा के बाद लोकसभा 19 अगस्त सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यसभा भी 2 घंटे की चर्चा के बाद कल 11 बजे तक के लिए सस्पेंड की गई।
शुभांशु शुक्ला पर चर्चा- केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने की शुरुआत
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा- मुझे ये देखकर पीड़ा हो रही है कि ऐसे वक्त में जब देश में जश्न का माहौल है, देशवासी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं, अंतरिक्ष में भारत के कदम का जश्न मना रहे हैं, विपक्ष इस पर बोल भी नहीं पा रहा है।
आपकी नाराजगी सरकार से हो सकती है, एस्ट्रोनॉट से कैसे हो सकती है। शुभांशु एयरफोर्स के सिपाही हैं, किसी राजनीतिक दल से ताल्लुक नहीं है। आप धरती से भी नाराज हैं, आकाश से भी नाराज हैं और आज अंतरिक्ष से भी नाराज हैं।
एक डॉक्टर होने के नाते ये मनोस्थिति समझ सकता हूं, ये नाराजगी तब होती है, जब आदमी हताश होता है। ये नाराजगी किसी से नहीं अपने आप से होती है। विपक्ष खुद से हताश है। विपक्ष समेत सभी से अपील करूंगा कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए तो चर्चा कर लें।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्पेस टेक्नोलॉजी ने अहम भूमिका निभाई। यह टेक्नोलॉजी पिछले 10 सालों में विकसित हुई है, जब मोदी सरकार सत्ता में आई। सवाल यह है कि हमारे स्पेस विभाग ने 60-70 साल तक खुद को क्यों अलग रखा और इतनी धीमी रफ्तार से क्यों काम किया।
इस सवाल का जवाब मिलेगा तो समझ आएगा कि 26 मई 2014, जिस दिन मोदी जी ने प्रधानमंत्री पद संभाला, उसी दिन से अंतरिक्ष यात्रा का नया अध्याय शुरू हुआ और इसने गति व मजबूती पाई।

