सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने शनिवार को एक प्रस्ताव पास कर देश की अदालतों में महिलाओं की बेहद कम मौजूदगी पर गंभीर चिंता जताई। एसोसिएशन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स में महिला जजों का प्रतिनिधित्व बेहद असमान और चिंताजनक है। बार एसोसिएशन के मुताबिक,
इसको लेकर एसोसिएशन ने अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह और सचिव प्रिया बघेल की अगुआई में प्रस्ताव भी पारित किया। यह कदम जस्टिस आलोक अराधे और विपुल एम पंचोली ने सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में शपथ लेने के 1 दिन बाद आया है।
इससे पहले 26 अगस्त को जस्टिस पंचोली की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट की इकलौती महिला जज जस्टिस बीवी नागरत्ना ने भी असहमति दर्ज की थी। वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह समेत कई महिला वकीलों ने भी आपत्ति जताई है कि जस्टिस पंचोली को तीन वरिष्ठ महिला हाईकोर्ट जजों को पीछे छोड़कर नियुक्त किया गया।
एसोसिएशन बोला-SC में महिलाओं की आखिरी नियुक्ति 2021 में हुई
SCBA ने कॉलेजियम से अपील की है कि आगे सभी नियुक्तियों में महिला जजों को प्राथमिकता दी जाए। एसोसिएशन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं की आखिरी नियुक्ति 2021 में हुई थी हाल की नियुक्तियों में न तो बार और न ही बेंच से किसी महिला को जगह मिली।
एसोसिएशन ने यह भी बताया कि अध्यक्ष विकास सिंह ने मई और जुलाई में तब के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर महिला जजों का समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की मांग भी की थी।
26 अगस्त- जस्टिस बीवी नागरत्ना ने जस्टिस पंचोली की नियुक्ति पर आपत्ति जताई
सुप्रीम कोर्ट की जज बीवी नागरत्ना ने 26 अगस्त को पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल मनुभाई पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने की कॉलेजियम की सिफारिश पर कड़ा विरोध दर्ज कराया। उन्होंने कहा, ‘ यह नियुक्ति न्यायपालिका के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है।’ जस्टिस पंचोली अगर सुप्रीम कोर्ट में जज बनते हैं तो वे अक्टूबर 2031 में सीजेआई बन सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस नागरत्ना ने मई में ही इस प्रस्ताव पर असहमति जताई थी। तब पहली बार जस्टिस पंचोली का नाम सामने आया था। बाद में जस्टिस एन वी अंजारिया को जस्टिस पंचोली से पहले सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था। तीन महीने बाद जब फिर से जस्टिस पंचोली का नाम सामने आया, तो जस्टिस नागरत्ना ने औपचारिक रूप से असहमति दर्ज की।

