चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (20 फरवरी) को सुनवाई हुई। कोर्ट ने AAP-कांग्रेस के कैंडिडेट को मेयर घोषित किया और भाजपा उम्मीदवार की जीत रद्द कर दी। चुनाव अधिकारी (रिटर्निंग अफसर) को नोटिस दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि अफसर ने झूठ बोला।
CJI के ऑर्डर की 5 बातें
- नियमों के मुताबिक, वोटिंग के वक्त हर मेंबर को बैलट पेपर के दाहिनी ओर उस कैंडिडेट के सामने क्रॉस का निशान लगाना था, जिसे वो मेयर चुनना चाहते हैं।
- पूरा मामला 8 बैलट पेपर्स का है, जिन्हें अवैध करार दिया गया। इन सभी 8 बैलट में आप कैंडिडेट का नाम ऊपरी हिस्से में और भाजपा कैंडिडेट का नाम नीचे था।
- जांच के बाद पता चला कि इन बैलट पेपर्स में आप कैंडिडेट के पक्ष में वोट दिया गया था। चुनाव अधिकारी मसीह ने इन पर स्याही से निशान लगाया।
- चुनाव अधिकारी ने जानबूझकर 8 बैलट पेपर को खराब करने का काम किया। कोई भी बैलट खराब नहीं था।
- अपनी हरकत से उन्होंने (अनिल मसीह) मेयर इलेक्शन के नतीजों को बदल दिया। उन्होंने कोर्ट में लगातार झूठ बोला, जिसके लिए वो जिम्मेदार हैं।
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- भाजपा मेयर कैंडिडेट के वकील: अगर सुप्रीम कोर्ट इस नतीजे पर पहुंचता है कि इलेक्शन को रद्द कर दिया जाए तो वैधानिक प्रावधान के तहत नए इलेक्शन होने चाहिए। यह हमारे लिए न्यायसंगत रहेगा।
- AAP कैंडिडेट के वकील: ये फिर से इलेक्शन इसलिए चाहते हैं ताकि फायदा उठा सकें। नए इलेक्शन के दौरान मिलने वाले वक्त में ये लोगों को तोड़ सकते हैं।
- रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह के वकील मुकुल रोहतगी: वो (मसीह) कैमरे की ओर क्यों देख रहे थे? वहां हंगामा मच रहा था और मसीह यही चेक कर रहे थे कि कैमरा काम कर रहा है कि नहीं। ऐसा नहीं है कि कोई गुनहगार कैमरा की तरफ देख रहा हो। उन्हें दस्तखत करने का अधिकार है। पहले बैलट में छोटी सी बिंदी है। कुछ बैलट्स ऊपर से मुड़े हुए हैं। ये देखते हुए मसीह ने उन्हें अवैध करार करने के लिए निशान लगाया।
- पंजाब सरकार के वकील: किसी एक की गलती का खामियाजा दूसरे नहीं भुगत सकते। ये आदमी (मसीह) शुरू से ही खुद को बचाता रहा। सुप्रीम कोर्ट के सामने भी यही किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में डाले गए वोटों की दोबारा गिनती की जाए। निशान लगाए गए सभी 8 बैलट्स को वैध माना जाए और इनके आधार पर वोटों की गिनती हो।

