तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के 10 जरूरी बिलों को राज्यपाल की ओर से रोके जाने को अवैध बताया है। कोर्ट ने कहा कि यह मनमाना कदम है और कानून के नजरिए से सही नहीं। राज्यपाल को राज्य की विधानसभा को मदद और सलाह देनी चाहिए थी।
सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार की तरफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई थी। इसमें कहा गया था कि राज्यपाल आरएन रवि ने राज्य के जरूरी बिलों को रोककर रखा है। बता दें कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) में काम कर चुके पूर्व IPS अधिकारी आरएन रवि ने 2021 में तमिलनाडु के राज्यपाल का पद संभाला था।
स्टालिन ने मंगलवार को विधानसभा में कहा- विधानसभा में पारित कई विधेयकों को राज्यपाल ने लौटा दिया था। इन्हें दोबारा पारित कर राज्यपाल को भेजा गया, लेकिन उन्होंने न मंजूरी दी और न ही कोई कारण बताया। संविधान के अनुसार, जब कोई बिल दोबारा पारित हो जाता है तो राज्यपाल को उस पर मंजूरी देनी होती है। लेकिन उन्होंने जानबूझकर देरी की।
तमिलनाडु सरकार ने विशेष सत्र में पारित किए गए थे बिल
राज्यपाल आरएन रवि ने तमिलनाडु सरकार की ओर से पारित 12 में से 10 बिलों को 13 नवंबर 2023 को बिना कारण बताए विधानसभा में लौटा दिया था और 2 बिलों को राष्ट्रपति के पास भेज दिया था। इसके बाद 18 नवंबर को तमिलनाडु विधानसभा के विशेष सत्र में इन 10 बिलों को फिर से पारित किया गया और गवर्नर की मंजूरी के लिए गवर्नर सेक्रेटेरिएट भेजा गया।
बिल पर साइन न करने का विवाद नवंबर 2023 में भी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच था। सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका में राज्य सरकार ने मांग की कि राज्यपाल इन सभी बिलों पर जल्द से जल्द सहमति दें। याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल का ये रवैया गैरकानूनी है और इन बिलों को लटकाने, अटकाने से डेमोक्रेसी की हार होती है। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में कहा था- मुद्दा सुलझाने के लिए गवर्नर को सीएम के एक साथ बैठकर चर्चा करनी चाहिए।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच 2021 से विवाद
राज्यपाल और स्टालिन सरकार के बीच 2021 में सत्ता संभालने के बाद से ही खराब रिश्ते रहे हैं। DMK सरकार ने उन पर भाजपा प्रवक्ता की तरह काम करने और विधेयकों और नियुक्तियों को रोकने का आरोप लगाया है। राज्यपाल ने कहा है कि संविधान उन्हें किसी कानून पर अपनी सहमति रोकने का अधिकार देता है। राजभवन और राज्य सरकार का विवाद सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन तक भी पहुंच गया है।

