इस बीच मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में लोकसभा और विधानसभा सीटों के परिसीमन की कवायद तेज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाले आयोग का चार दिवसीय दौरा इसी कवायद का हिस्सा माना जा रहा है। आयोग के सदस्य जम्मू-कश्मीर के नेताओं व समाज के विभिन्न समूहों से मुलाकात करके उनकी राय जानने की कोशिश करेंगे। आयोग के दौरे से पहले पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी ने सरकार के इस कदम पर असहमति जताते हुए आयोग से मिलने से इनकार कर दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद सोमवार को गुपकार गठबंधन की पहली बैठक हुई। इस बैठक में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती भी मौजूद थीं। बैठक में नेताओं ने मांग की कि केंद्र सरकार की ओर से ऐसे कदम उठाए जाने चाहिए जिनसे राज्य के लोगों का भरोसा बढ़ सके। इस दिशा में सबसे बड़ा कदम राजनीतिक कैदियों की रिहाई है और इस बाबत केंद्र सरकार को जल्द से जल्द पहल करनी चाहिए। बैठक में नेताओं ने कहा कि भाजपा की ओर से संसद में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिए जाने की बात कही गई थी। भाजपा को संसद में किए गए अपने वादे पर खरा उतरना चाहिए। नेताओं ने कहा कि हमारा मकसद अपना लक्ष्य हासिल करना है और लक्ष्य हासिल होने तक गुपकार गठबंधन में शामिल नेता संघर्ष करते रहेंगे।