सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु के मंत्री और DMK नेता उदयनिधि स्टालिन की याचिका पर सुनवाई की। जिसमें उन्होंने सनातन धर्म को खत्म करने वाले कमेंट पर अपने खिलाफ दर्ज FIR क्लब करने की मांग की थी। स्टालिन के खिलाफ उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र में FIR दर्ज हैं।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने स्टालिन से कहा कि वे अपनी तुलना मीडिया से नहीं कर सकते। कोर्ट ने याचिका में बदलाव करने और इसे CrPC की धारा 406 के तहत दायर करने का आदेश भी दिया। मामले की अगली सुनवाई 6 मई को होगी।
उदयनिधि ने याचिका में कहा था कि रिपब्लिक टीवी के एंकर अर्नब गोस्वामी, मोहम्मद जुबैर, अमीश देवगन से जुड़े मामलों की तरह उनके खिलाफ दर्ज सभी FIR क्लब कर दी जाएं। सुनवाई के दौरान स्टालिन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के मामले का हवाला दिया। नूपुर के खिलाफ विभिन्न राज्यों में दर्ज FIR बाद में एक राज्य में ट्रांसफर कर दी गई थीं।
सिंघवी ने दलील दी- नूपुर शर्मा एक शुद्ध राजनेता हैं। इस पर बेंच ने कहा- आखिरकार आपने स्वेच्छा से बयान दिया है। जिनका हवाला दिया गया, वे मीडिया के लोग थे, जो TRP के लिए अपने मालिकों के अनुसार काम कर रहे थे।

