केन्द्र सरकार जल्द ही मौजूदा वक्फ एक्ट में करीब 40 संशोधन करने की तैयारी में है। इसे लेकर सरकार इसी सत्र में एक नया बिल लेकर आ सकती है। अभी वक्फ के पास किसी भी जमीन को अपनी संपत्ति घोषित करने की शक्ति है। नए बिल में इस पर रोक लगाई जा सकती है।
सूत्रों को मुताबिक शुक्रवार (2 अगस्त) को हुई कैबिनेट बैठक में इस बिल को मंजूरी भी मिल गई है। प्रस्तावित बिल में मौजूदा एक्ट की कुछ धाराओं को हटाया भी जा सकता है। संसद का मानसून सत्र अभी 12 अगस्त तक चलना है।
ओवैसी बोले- भाजपा हमेशा से वक्फ बोर्ड के खिलाफ रही है
वक्फ एक्फ में संशोधन की अटकलों को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो जब संसद सत्र चल रहा है, तो केंद्र सरकार संसद की सर्वोच्चता और विशेषाधिकारों के खिलाफ काम कर रही है और इसकी जानकारी संसद को देने की बजाय मीडिया को दे रही है।
ओवैसी ने कहा कि वक्फ एक्ट में संशोधन को लेकर मीडिया में जो भी कहा जा रहा है, उससे यह पता चलता है कि मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की ऑटोनॉमी छीनना चाहती है और उसमें दखल देना चाहती है। यह धर्म की स्वतंत्रता के खिलाफ है।
आगे उन्होंने कहा कि दूसरी बात यह कि भाजपा हमेशा से इस बोर्ड और वक्फ की संपत्तियों के खिलाफ रही है। उनका हिंदुत्व का एजेंडा है। अब अगर आप वक्फ बोर्ड की स्थापना और संरचना में बदलाव करना चाहते हैं, तो इससे प्रशासनिक स्तर पर अव्यवस्था होगी, वक्फ बोर्ड की ऑटोनॉमी खत्म होगी और अगर सरकार वक्फ बोर्ड पर अपना कंट्रोल बढ़ाती है तो वक्फ की स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि अगर कोई विवादित संपत्ति है, तो ये लोग कहेंगे कि वह विवादित है और हम उसका सर्वे कराएंगे। यह सर्वे भाजपा के मुख्यमंत्री करेंगे और आप जानते ही हैं कि इसके नतीजे क्या होंगे। इस देश में ऐसी कई दरगाह हैं जिन्हें लेकर BJP-RSS दावा करते हैं कि यह दरगार और मजार नहीं हैं। इस फैसले से न्यायपालिका की शक्ति छीनने की कोशिश की जा रही है।
नए बिल से वक्फ बोर्ड पर क्या प्रभाव पड़ेगा
देश में रेलवे और सशस्त्र बल के बाद सबसे ज्यादा जमीन पर मालिकाना हक रखने वाली संस्था वक्फ बोर्ड है। संशोधनों के बाद किसी भी जमीन पर दावे से पहले उसका वेरिफिकेशन करना होगा। इससे बोर्ड की जवाबदेही बढ़ेगी और मनमानी पर रोक लगेगी।
बोर्ड के पुनर्गठन से बोर्ड में सभी वर्गों समेत महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ेगी। मुस्लिम बुद्धिजीवी, महिलाएं और शिया और बोहरा जैसे समूह लंबे समय से मौजूदा कानूनों में बदलाव की मांग कर रहे हैं।
विवादों में रहे थे वक्फ बोर्ड के कुछ फैसले
वक्फ बोर्ड से जुड़े नए बिल के पीछे सितंबर 2022 के एक मामले का तर्क दिया जा रहा है। इसमें तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने थिरुचेंदुर गांव को अपनी संपत्ति बताया था, जबकि इस गांव की ज्यादातर आबादी हिंदू है।
वहीं पिछले साल मई में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में उन 123 संपत्तियों के निरीक्षण की अनुमति दी थी, जिन पर दिल्ली वक्फ बोर्ड अपने कब्जे का दावा कर रहा है। पिछले साल अगस्त में ही केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने इन संपत्तियों को नोटिस भी जारी किया था।
मोदी सरकार 2.0 के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने किसी विशेष संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने के लिए राज्य वक्फ बोर्ड की शक्तियों और उनके मुतवल्लियों की नियुक्ति के प्रोसेस की समीक्षा की थी।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बुरहानपुर की 3 ऐतिहासिक इमारतों को वक्फ बोर्ड का मानने से इनकार कर दिया है। अदालत ने गुरुवार को एक याचिका पर फैसला देते हुए कहा, ‘ये वक्फ बोर्ड की संपत्ति का हिस्सा नहीं हो सकती हैं।’ तीन इमारतों में से एक- शाह शुजा स्मारक मुगल बादशाह शाहजहां की बहू बेगम बिलकिस की कब्र है।
बुरहानपुर के सैयद रजोद्दिन और सैयद लायक अली की अपील पर मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड ने 2013 में एक आदेश जारी कर इन तीनों इमारतों को अपनी संपत्ति घोषित कर दिया था। आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने 2015 में इसके खिलाफ याचिका दायर की।

