इजराइल-हमास जंग का आज 12वां दिन है। भारत के 900 जवान इस वक्त लेबनान में इजराइल बॉर्डर के करीब तैनात हैं। ये वही जगह है जहां इजराइल हिजबुल्ला के ठिकानों पर गोले बरसा रहा है। इस जंग की वजह से दोनों ओर से चल रही गोलीबारी में यहां तैनात भारतीय सैनिकों पर भी खतरा मंडरा रहा है।
इजराइल-लेबनान में जंग रोकने के लिए तैनात भारतीय जवान
मार्च 1978 की बात है। लेबनान में मौजूद फिलिस्तीन समर्थक उग्रवादियों ने तेल अवीव के पास दर्जनों यहूदियों की बेरहमी से हत्या कर दी। इस हत्याओं का बदला लेने के लिए इजराइली सेना ने दक्षिणी लेबनान में आतंकियों के सफाए के लिए एक ऑपरेशन चलाया। इसके बाद दोनों देशों में जंग शुरू हो गई। इसे इजराइल की ओर से लेबनान पर किया गया हमला बताया गया।
जब ये मामला UN में पहुंचा तो तुरंत यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल ने इस जगह पर शांति कायम करने के लिए एक प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव के मुताबिक इजराइली सेना को फौरन लेबनान सीमा से वापस लौटने को कहा गया।
इसके बाद लेबनान में UN की ओर से शांति कायम करने के लिए अंतराष्ट्रीय फोर्स की तैनाती की गई। UN की ओर से तैनात इन जवानों को संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल यानी UNIFIL कहा जाता है। 1978 के बाद से ही यहां UNIFIL की तैनाती है। इस वक्त भारत के 900 जवानों की तैनाती दक्षिणी लेबनान के इजराइल सीमा के पास तैनात हैं।
दक्षिणी लेबनान में जहां UN की फोर्स की तैनाती है, उस 110 किलोमीटर के क्षेत्र को ‘ब्लू लाइन’ कहा जाता है। इस समय संयुक्त राष्ट्र के पीस मिशन में 48 देशों के लगभग 10,500 पीसकीपर्स हैं। इजराइल-हमास जंग के बीच UN के इन जवानों ने दोनों देशों से शांति और संयम बरतने की अपील की है।

