चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई ने बुधवार को दिल्ली-NCR की सड़कों से आवारा कुत्तों पर लगे प्रतिबंध पर फिर से विचार करने आश्वासन दिया। CJI ने कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया) की याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की।
NGO की सचिव ननीता शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में मामले में सुनवाई के लिए जल्द तारीख तय करने की मांग की थी। CJI ने जब मामले की सुनवाई पहले होने की बात कही तो, याचिकाकर्ता ने 2024 में जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच के आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि कुत्तों की बेहिसाब हत्या नहीं हो सकती।
इससे पहले SC ने 11 अगस्त को डॉग बाइट्स और रेबीज के मामलों को देखते हुए सभी आवारा कुत्तों को 8 हफ्तों में दिल्ली-NCR के आवासीय क्षेत्रों से हटाकर शेल्टर होम में भेजने का आदेश दिया था। कोर्ट ने इस काम में बाधा डालने वाले व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने खुद नोटिस लेते हुए 2 बार सुनवाई की
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के नगर निकायों को निर्देश दिया है कि आवारा कुत्तों को तुरंत पकड़कर नसबंदी करें और उन्हें स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखें। इसके लिए 8 हफ्ते का समय दिया। कहा कि किसी भी तरह की रुकावट से कानूनी कार्रवाई हो सकती है। कोर्ट ने कुत्तों के हमले और रेबीज के खतरे से निपटने के लिए तुरंत कदम उठाने को कहा है।28 जुलाई:सुप्रीम कोर्ट ने देश में आवारा कुत्तों के हमलों के कारण रेबीज से होने वाली मौतों की घटनाओं पर खुद नोटिस लिया था। कोर्ट ने इसे बेहद चिंताजनक और डराने वाला बताया था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा में सरकार के उस आंकड़े पर संज्ञान लिया, जिसमें बताया गया था कि 2024 में 37 लाख से ज्यादा डॉग बाइट्स के मामले आए। इसके अलावा 54 लोगों की मौत रेबीज से हुईं। ये जानकारी 22 जुलाई को पशुपालन राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने लोकसभा में दिल्ली में छह साल की बच्ची छवि शर्मा की मौत से जुड़े सवाल पर दी थी। बच्ची को 30 जून को एक कुत्ते ने काट लिया था। इलाज के बावजूद उसकी मौत हो गई थी।थरूर बोले- निगम की जगह
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बुधवार को आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए मिलने वाले फंड के इस्तेमाल पर पुनर्विचार की मांग की। उन्होंने सुझाव दिया कि यह धनराशि नगर निकायों के बजाय सीधे भरोसेमंद पशु कल्याण संगठनों और एनजीओ को दी जाए। थरूर ने X पर लिखा,

