Chandigarh/Atulya Loktantra: हरियाणा और पंजाब के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों के अभिभावकों को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने बड़ी राहत दी है। अदालत ने कहा है कि जिन स्कूलों ने लॉकडाउन में कक्षाएं नहीं ली हैं, वह ट्यूशन फीस नहीं वसूल सकते हैं। साथ ही न्यायालय ने निजी स्कूलों को पिछले सात माह की बैलेंस शीट सीए से सत्यापित करवा दो सप्ताह में सौंपने का आदेश दिया है।
जस्टिस राजीव शर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के निजी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों व पंजाब सरकार की अपील पर सुनवाई के दौरान यह राहत दी है। इसके साथ ही अपने आदेश में न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि निजी स्कूल अपने नियमित, अनुबंध या ऐड-हॉक कर्मियों के वेतन में कोई कटौती नहीं करेंगे और उन्हें लॉकडाउन से पहले मिलने वाले वेतन का ही भुगतान किया जाएगा।
न्यायालय ने साफ किया कि लॉकडाउन में छात्र स्कूल गए ही नहीं ऐसे में निजी स्कूल छात्रों से परिवहन फीस नहीं वसूल सकते हैं। इस आदेश के साथ न्यायालय ने सभी अपीलों पर अंतिम सुनवाई के लिए 12 नवंबर तिथि निर्धारित की है। न्यायालय ने कहा कि लॉकडाउन में स्कूलों ने जो सुविधा दी ही नहीं उसकी फीस कैसे वसूल सकते हैं।
आदेश में न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह आदेश इन अपीलों पर अंतिम फैसले पर निर्भर होगा और आदेश पंजाब और हरियाणा के सभी निजी स्कूलों पर लागू होगा। इससे अपीलों पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा था कि अगर कोई छात्र फीस नहीं जमा करवा पाता है तो स्कूल छात्र का नाम नहीं काटेंगे।
यह था सिंगल बेंच का आदेश
सिंगल बेंच ने 30 जून को निजी स्कूलों की याचिका पर फैसला सुनाते हुए ऑनलाइन कक्षाएं लगाने और न लगाने वाले सभी स्कूलों को एडमिशन और ट्यूशन फीस वसूलने की इजाजत दी थी। सिंगल बेंच ने निजी स्कूलों को इस वर्ष फीस बढ़ोतरी नहीं करने का भी आदेश दिया था। जो अभिभावक खराब आर्थिक स्थिति के कारण फीस नहीं दे सकते, वह स्कूल को अर्जी देंगे और निजी स्कूल इस पर संवेदनशीलता से गौर कर निर्णय लेंगे। न्यायालय ने कहा था कि चाहे तो फीस माफ की जा सकती है या बाद में ली जा सकती है। यही फैसले बाद में हरियाणा में लागू कर दिया गया था।