New Delhi/Atulya Loktantra : दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात की धार्मिक सभा के दौरान बड़ी तादाद में लोग जुटे थे और इनमें से कई लोगों में कोरोना के मामले पाए गए. इसके बाद भारत में फैल रहे कोरोना वायरस के मामलों का जिम्मेदार मुस्लिम समुदाय को ठहराया जाने लगा. ऐसे में नरेंद्र मोदी सरकार ने एक तरफ कहा कि मुसलमानों को टारगेट न किया जाए तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ये कहा कि कुछ लोगों की गलतियों के चलते पूरे समाज से दूरी बनाना ठीक नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा था, ‘कोविड-19 जाति, धर्म, रंग, जाति, पंथ, भाषा या सीमाओं को नहीं देखता. इसलिए हमारी प्रतिक्रिया और आचरण में एकता और भाईचारे को प्रधानता दी जानी चाहिए. इस परिस्थिति में हम एक साथ हैं.’ पीएम के इस बयान को मुस्लिम समुदाय को कोरोना संक्रमण से जोड़े जाने और उन्हें निशाने पर लिए जाने के संदर्भ में देखा जा रहा है. इसके अलावा उन्होंने कहा है कि इस मुश्किल वक्त में हमें साथ मिलकर इस चुनौती से निपटने की जरूरत है, जिससे साफ संकेत है कि कोरोना को किसी धर्म विशेष से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
वहीं, पीएम मोदी ने रविवार को मन की बात के दौरान कहा कि रमजान का पवित्र महीना शुरू हो गया है. किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि रमजान में इतनी बड़ी मुसीबत होगी, लेकिन जब विश्व में मुसीबत आ ही गई है तो हमें सेवाभाव की मिसाल देनी है. हम पहले से ज्यादा इबादत करें और कोरोना के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करें ताकि ईद आने से पहले दुनिया कोरोना से मुक्त हा जाये और हम पहले की तरह उमंग और उत्साह के साथ ईद मनाएं. हालांकि, पीएम ने मुस्लिम समुदाय से कहा कि प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कोरोना के खिलाफ चल रही इस लड़ाई को और मजबूत करें और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें.
मोदी सरकार के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ने भी इशारों में तबलीगी जमात के बहाने मुस्लिम पर हो रहे टारगेट का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि अगर कोई भयवश या क्रोधवश कुछ उल्टा सीधा कर दिया है तो सारे समूह को ही एक माप में लपेटकर उनसे दूरी बनाना ये भी ठीक नहीं है. सामान्य लोगों के मन में कुछ आ सकता है. सामान्य लोगों को ये समझदारी लेनी चाहिए कि हमारी भूमिका सहयोग की होगी, विरोध की नहीं होगी.
मोहन भागवत ने कहा कि कभी-कभी लोगों को भय लगता है कि हमें क्वारनटीन में डाल देंगे. छिपने का प्रयास करते हैं. लोगों को कुछ नियमों में बांध दिया तो लोगों की ऐसी भावना होती है कि हम पर कुछ प्रतिबंध ना रहे. किसी-किसी को लग भी सकता है कि सरकार हमारे कार्यक्रमों पर प्रतिबंध कर रही है. ऐसे भड़काने वाले लोगों की कमी नहीं है. उसके कारण क्रोध पैदा होता है. फिर अतिवादी क्रत्य होते हैं. हम जानते हैं कि इसका लाभ लेने वाली ताकतें हैं और वो प्रयासरत हैं.
उन्होंने कहा कि भारत तेरे टुकड़े होंगे ऐसे विचार रखने के कारण बहुत सारे लोग ऐसा प्रयास करते हैं. राजनीति भी बीच में आ जाती है. इससे बचना है. ये लोग अपना कुछ बिगाड़ न लें इतनी सावधानी बरतनी है. हमारे मन में इसके कारण प्रतिक्रियावश कोई खुन्नस, कोई दुश्मनी नहीं होनी चाहिए. भारत का 130 करोड़ का समाज भारत माता का पुत्र है. अपना बंधु है. इस बात को ध्यान में रखना चाहिए. संघ प्रमुख का बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
भाजपा नेता और केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी पिछले दिनों कहा था कि किसी एक संस्था या किसी व्यक्ति के गुनाह के लिए पूरे समुदाय को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. उस संस्था ने जो भी आपराधिक लापरवाही या अपराध किया, उसकी ज्यादातर मुसलमानों ने निंदा की और कार्रवाई करने की मांग की है.
कोरोना की वजह से कई जगह भेदभाव के मामले आए
संघ प्रमुख और मोदी सरकार का बयान ऐसे समय आया है जब तबलगी जमात की वजह से निशाने पर आए मुस्लिम समुदाय के खिलाफ देश में कई जगह से भेदभाव की शिकायतें आ रही थी. उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में लोग मुसलमानों से सब्जी खरीदने से इनकार कर देते हैं, तो दिल्ली के शास्त्री नगर के बी- ब्लॉक इलाके में एक बैठक कर तय किया गया कि कॉलोनी में किसी भी मुसलमान ठेले वालों को घुसने नहीं देंगे. मेरठ में वैलेंटिस कैंसर अस्पताल विज्ञापन छाप देता है कि मुसलमान केवल तब आयें जब उनकी कोरोना की जांच हो चुकी हो और कहीं अहमदाबाद में हिंदू-मुस्लिम के लिए अलग-अलग वार्ड बनाए जाने का मामला सामने आता है. हालांकि, माना जा रहा है कि सरकार और संघ के बयान के बाद इस तरह के भेदभाव वाले मामले रुकेंगे.