पांच दिवसीय ‘‘फल-सब्जी प्रसंसकरण शिविर का समापन
पलवल (अतुल्य लोकतंत्र ): मुकेश बघेल•
चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के अर्न्तगत कृषि विज्ञान केन्द्र, मण्डकौला द्वारा केन्द्र परिसर में ‘‘फल-सब्जी प्रसंसकरण व अचार बनाने’’ पर आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण आज समाप्त हो गया। इसमें कृषि विज्ञान केन्द्र, मण्डकौला के सेवानिवृत समायोजक डा. देवरतन चौहान बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में 30 महिलाओं ने भाग लिया। प्रशिक्षण में मिली-जुली सब्जियों, लहसुन, नींबू, गाजर, आंवला, खुम्बी और नींबू के छिलकों के अचार के अतिरिक्त सेब का जैम, टमाटर का कैचअप, आंवले का मुरब्बा व कैण्डी, नींबू व अमरुद का स्कवैश गाजर का जैम व फल-सब्जियों के सूखेे व फ्रोजन प्रोडक्ट आदि अनेक प्रसंस्कृत उत्पाद प्रतिभागियों से स्वयं बनवाकर सिखाए। इस अवसर पर प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए डा. चौहान ने इस कार्य की उपयोगिता बताते हुए कहा कि भारत विश्व में फल-सब्जी उत्पादन में द्वितीय स्थान पर होने के बावजूद प्रसंस्करण में पीछे हैं। उन्होने कहा कि आजकल की अति व्यस्त दिनचर्या के कारण फास्ट फूड का प्रचलन नितन्तर बढ़ रहा है , जिसके चलते फल-सब्जी प्रसंस्करण और प्रसंस्कृत उत्पादों की खपत की अपार सम्भावनाएं हैं। इसलिए महिलाएं इसे अपनाकर उद्यमी बने। ऐसा करके वे खुद के सााथ-2 दूसरों के लिए भी रोजगार पैदा करेंगी। भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद, दिल्ली द्वारा वितपोषित परियोजना बायोटैक किसान हब के अंर्तगत कार्यरत डा. सचिन कुमार ने प्रतिभागियों को प्रसंस्कृत फल-सब्जी उत्पादों की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली कृषि क्रियाओं की सम्पूर्ण जानकरी दी। उन्होंने कहा कि उत्तम गुणवत्ता और लम्बी भण्डारण अवधि के लिए फल-सब्जी उत्पादन के दौरान यूरिया का प्रयोग कम से कम करें।
कार्यक्रम के दौरान केन्द्र के वरिष्ठ समायोजक डा. डी. वी. पाठक व कार्यक्रम के संयोजक व बागवानी विशेषज्ञ डा. आर. एस. सैनी के अतिरिक्त के.वी.के. मण्डकौला की गृह विज्ञान विशेषज्ञा डा. कान्ता सभरवाल, के.वी.के. फरीदाबाद के बागवानी वैज्ञानिक डा. रामभगत गुप्ता, के.वी.के. उजवा, दिल्ली की डा. रीतु सिंह, के.वी.के., झज्जर की तकनीकी सहायक(सब्जी विज्ञान) डा. प्रीति यादव ने विभिन्न प्रसंसकृत उत्पाद बनाने की जानकारी दी। बागवानी वैज्ञानिक डा.सैनी ने फूड सेफटी स्टैण्डर्डस अथारिटी आफ इण्डिया के खाद्य सुरक्षा व गुणवत्ता मानकों के बारे में भी बताया। डा. पाठक ने प्रसंस्कृत उत्पादों के खराब होने के कारण और प्रसंस्करण उपरान्त भण्डारण के दौरान सुरक्षित रखने हेतु विभिन्न परिरक्षको के प्रयोग सम्बन्धी जानकारी के साथ-साथ विपणन में कार्यकुशलता के उपाय बताये और कहा कि उत्पाद की गुणवत्ता और आर्कषक पैकिंग अच्छा मूल्य प्राप्त करने में अत्यन्त प्रभावी होती है। कार्यक्रम के प्रतिभागियों में पूनम माण्डीखेड़ा, रजनी व लक्ष्मी औरंगाबाद मितरोल, कृष्णा राठीवास और यादुपुर की सीमा ने प्रशिक्षण में अति सक्रियता दिखाई।