राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन एच तीन फरीदाबाद में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में अस्थमा दिवस पर वर्चुअल कार्यक्रम जुनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड द्वारा आयोजित किया गया। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने बताया कि इस वर्ष विश्व अस्थमा दिवस की थीम अस्थमा की गलतफहमी को उजागर करना है। अस्थमा की गलतफहमी को उजागर करने का विषय अस्थमा के कॉम्पलिकेशन से संबंधित गलत धारणा को खत्म करना है। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा है अस्थमा किसी भी उम्र में हो सकता है। अस्थमा संक्रामक नहीं हैं तथा जब अस्थमा कंट्रोल में होता है, तो दमा के लोग अच्छी तरह से व्यायाम कर सकते हैं। अस्थमा लो डोज इनहेल स्टेरॉयड के साथ कंट्रोलेबल है, उन्होंने बताया कि एक दमा वाले व्यक्ति को अपनी दवा का उचित रूप से सेवन करना चाहिए और हमेशा अपने नेबुलाइजर और इनहेलर को हाथ में रखना चाहिए। सीडीसी के अनुसार, अस्थमा से पीड़ित लोगों को स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए और उन्हें यथासंभव ताजी हवा लेनी चाहिए। इन सबसे भी ज्यादा जरूरी बात कि अस्थमा के रोगियों को अपने स्वास्थ्य के बारे में जागरूक रहना चाहिए ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटने में वो जल्द से जल्द सहायक हो सकें क्यों कि कई बार नेबुलािजर भी लोग साथ में कैरी करना भूल जाते हैं जिसकी वजह से भी ज्यादातर मामलों में मौत तक हो जाती है। सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड और जूनियर रेडक्रॉस प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि एक्सपर्ट के मुताबिक अस्थमा के मरीजों को आर्टिफिशियल स्वीटनर के इस्तेमाल से बचना चाहिए। आमतौर पर आर्टिफिशियल स्वीटनर डाइट सोडा और जूस होता है। आर्टिफिशियल स्वीटनर एलर्जी बढ़ाने का काम करता है। अस्थमा के मरीजों को प्रोसेस्ड फूड, फास्ट फूड, डीप फ्राइड फूड, फ्रोजेन फूड और पैकेट फूड से बचना चाहिए। आजकल छोटे बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्ग, हर उम्र के लोग इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। अस्थमा फेफड़ों का रोग है, जो सांस की समस्याओं के कारण होता है। अस्थमा एक ऐसी बीमारी है, जिसे पूरी तरह से ठीक कर पाना बेहद मुश्किल है परंतु इससे जुड़ी सावधानियों, बचावों और इसके लक्षणों को पहचान कर हम काफी हद तक इस खतरनाक बीमारी से लड़ सकते हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1998 में पहली बार वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया गया था। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा एवम प्राध्यापिका जसनीत कौर के मार्गदर्शन में छात्राओं महविश, भूमिका, प्रीति, निशा, आरती, प्रिया और प्रीति ने पेटिंग के माध्यम से यह संदेश दिया कि उचित अनुशासन और खानपान से अस्थमा का सामना करते हुए स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।