फरीदाबाद। कोरोना की रफ्तार धीमी होने के बाद अनेक मरीज ठीक होकर घर पहुुंच गए हैं। अब उनमें कई शारीरिक दिक्कतें सामने आने लगी हैं। फेफड़े के साथ-साथ संक्रमण ने उनके हृदय पर काफी दुष्प्रभाव छोड़ा है। स्थिति यह है कि गंभीर कोविड मरीज ही नहीं एसिंप्टोमेटिक (बिना लक्षण वाले) रोगी में भी हार्ट संबंधी समस्याओं को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। यह कहना है कि एशियन अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग डायेरक्टर डॉ. ऋषि गुप्ता का। उन्होंने कहा कि उनमें संक्रमण की वजह से इम्यूनमीडिएट हार्ट मसल इंजरी हुईं। इससे वह हृदय की मायोकार्डडाइटिस की समस्या से घिर गए। वहीं समस्या को नजरंदाज करने से कार्डियोमायोपैथी की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में उनकी हार्ट की नसें कमजोर हो गईं। उसकी पंपिंग धीमी हो रही है। वरिष्ठ कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ.ऋषि गुप्ता ने बताया कि पोस्ट कोविड यानी कोरोना से ठीक होने के बाद भी शरीर में खून का थक्का जमने की समस्या होती है जिस वजह से मरीजों में हार्ट से जुड़ी दिक्कतें सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद 30 से 50 साल की उम्र के कई मरीजों में फेफड़ों में संक्रमण और निमोनिया की वजह से सांस फूलने और सांस लेने में दिक्कत की समस्या हुई है। यह समस्या समस्या हृदय रोग से जुड़ी है। अस्पताल में ऐसे मरीज जो पहले हेल्दी थे उनमें भी कार्डियक यानी हृदय रोग से जुड़ी समस्याएं अधिक देखने को मिल रही है। बचाव के लिए कार्डियक स्क्रीनिंग करवाएं डॉ. ऋषि गुप्ता ने कहा कि कोरोना से ठीक हुए मरीजों में हाइपरटेंशन और घबराहट और टेकिकार्डिया जैसी बीमारी,, हार्ट फेलियर, स्ट्रोक और पल्मोनरी एम्बोलिज्म जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं। वहीं गंभीर रोगी रहे 10 फीसद में कार्डियोमायोपैथी की दिक्कत हुई। ऐसे में घबराहट और टेकिकार्डिया जैसी बीमारी, दिल की धडक़न के बढऩे का आभास होना, पैरों में सूजन, तेज चलने पर सांस फूलना, रात में बार-बार पेशाब जाने जैसे लक्षण हों तो अलर्ट हो जाएं। कार्डियक स्क्रीनिंग, ईसीजी-ईको टेस्ट कराएं। वहीं कोरोना से ठीक होने के बाद मरीज हार्ड वर्क करने से बचें। वह धीरे-धीरे अपनी पुरानी फिजिकल एक्टीविटी पर लौटने की कोशिश करें।