फरीदाबाद, 05 सितम्बर। हर साल, भारत में यातायात दुर्घटनाओं और सारकोमा जैसी बीमारियों के परिणामस्वरूप हजारों पैर काट दिए जाते हैं। हालांकि, ऐसे अधिकांश लोगों का पैर बचाया जा सकता है, यदि वे तुरंत बहु-विषयक और लोअर लिम्ब रिकंस्ट्रक्शन टीम से सुसज्जित अस्पताल पहुंच जाते हैं। फरीदाबाद के अमृता हॉस्पिटल के लोअर लिम्ब रिकंस्ट्रक्शन सेंटर के रिकंस्ट्रक्टिव सर्जनों ने यह बात कही।
अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद के प्लास्टिक एवं रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट, प्रोफेसर और एचओडी डॉ. मोहित शर्मा ने कहा, “हर साल सड़क दुर्घटनाओं में हजारों लोगों के पैर जख्मी हो जाते हैं और दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि उनमें से ज्यादातर युवा हैं। ऑन-द-स्पॉट स्टेबलाइजेशन की कमी और उपचार मिलने में देरी के कारण एक्सीडेंट्स के बाद अंग-विच्छेदन की घटनाएं भी अधिक होती हैं। यहां तक कि जब मरीज समय पर ट्रॉमा सेंटर पहुंचता है, तब भी विशेष सर्जनों की कमी के कारण विकलांगता की दर अधिक होती है। हालांकि, इस रुग्णता से बहुत हद तक बचा जा सकता है।”

