पलवल (अतुल्य लोकतंत्र ):चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के अर्न्तगत कृषि विज्ञान केन्द्र, मण्डकौला द्वारा कौशल विकास द्वारा उद्यमिता विकास और ग्रामीण महिलाओं केा स्वावलम्बन की ओर अग्रसर करने के लिए फल-सब्जी प्रसंस्करण एवं अचार बनाने विषय पर 15-20 नवम्बर तक पांच दिवसीय व्यवसायिक प्रशिक्षण आयोजित किये जा रहा हैं। इस कार्यक्रम में 30 महिलाओं का चयन किया गया है। केन्द्र के के वरिष्ठ संयोजक डा0 धर्मवीर पाठक ने उन्होने कहा कि महिलाएं फल-सब्जी प्रसंस्करण को बतौर स्वरोजगार अपनाकर आय उपार्जन कर स्वावलम्बी बन सकती हैं। स्वरोजगार आरम्भ करने हेतु प्रतिभागियों को स्वरोजगार सहायता सामग्री योजना के तहत इस केन्द्र द्वारा विश्वविद्यालय के नियमोनुसार मुहैया कराई जाती है। उन्होने उन्होने कहा कि फल-सब्जी के पौष्टिक खाद्य उत्पाद बनाने के बाद भण्डारण के दौरान अनेक सूक्ष्मजीव जैसे फफूंदी, बैक्टीरियं, मोल्ड आदि इन्हें खराब कर देते हैं जिनसे बचाने के लिए उपयुक्त मात्रा में सिफारिश किये गये परिरक्षकों का प्रयोग करना चाहिए और प्रसंस्करण के दौरान संक्रमण से बचाने के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए ।
इस अवसर पर प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए विज्ञान केन्द्र के प्रमुख विस्तार विशेषज्ञ (बागवानी) एवं कार्यक्रम के संयोजक डा0 रणबीर सैनी कहा कि फल-सब्जियों का सन्तुलित मानव आहार में विशेष महत्व है क्योंकि ये विटामिन, खनिज लवण व एंटी-आक्सीडेंटस से ओत-प्रोत होते है और इनमें रोगरोधी क्षमता होने के कारण हमें अनेक प्रकार की बीमारियों से बचाते है । इसलिए पौष्टिकताविदों के मत अनुसार एक व्यस्क के दैनिक आहर में प्रतिदिन कम से कम 120 ग्राम फल व 300 ग्राम सब्जियां शामिल होनी चाहिए। उन्होने। उन्होने महिलाओं को आंवले का मुरब्बा बनाने के लिए प्रिकिंग की मैनुअल व मशीन द्वारा विधि प्रदशित की तथा आंवले का मुरब्बा और कैण्डी बनाने सिखाए।यह कार्यक्रम 20 नवम्बर तक चलेगा।