लोकसभा में गुरुवार को इमिग्रेशन एंड फॉरनर्स बिल 2025 पास हो गया। बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- रोहिंग्या हों या बांग्लादेशी हों, अगर भारत को नुकसान पहुंचाने की मानसिकता के साथ आते हैं तो उनके साथ बड़ी ही कठोरता के साथ पेश आया जाएगा।
अगर कोई योगदान देने के लिए आता है तो उसका स्वागत है। इस नीति में उदारता के साथ कठोरता की भी जरूरत है।
भारत में आने वाले सभी विदेशी नागरिकों का अपडेट रखा जाएगा। वे किस रास्ते से आ रहे हैं। कहां रुक रहे हैं। क्या कर रहे हैं, इसकी जानकारी अपडेट की जाएगी।
यह बिल लोकसभा में 11 मार्च को पेश किया गया था। इस पर सत्ता और विपक्ष के 30 सांसदों ने अपनी बात रखी।
अप्रवासियों के लिए अभी चार अधिनियमों में कई व्यवस्थाएं छिटपुट है। अब ये एक विधेयक चार अधिनियमों को निरस्त करके एक कानून का रूप देने का काम करेगा।
ये हमारी प्रणाली को आसान करेगा, विश्वसनीय भी बनेगा। तीन साल के गहन विचार के बाद इसे डिजाइन किया गया है।
सुरक्षा की दृष्टि से ड्रग्स कार्टल, घुसपैठियों की कार्टल, हवाला व्यापारियों को समाप्त करने की व्यवस्था हम इस विधेयक में कर रहे हैं।
पासपोर्ट एक्ट में पासपोर्ट-वीजा की आवश्यकता को पुख्ता करेगा, विदेशियों के पंजीकरण को और पुख्ता करेगा।
अप्रवास अधिनियम 2002 को भी थोड़ा परिवर्तन करके इसमें समाहित किया गया है।
अप्रवासियों से जुड़े कानून 1920, 1930 और 1946, ब्रिटेन की संसद में बने थे। भारत का कानून अब भारत की नई संसद में बन रहा।
इस कानून में डेटा मैनेजमेंट और वेरिफिकेशन की जटिलता को समाप्त किया गया है।
शाह ने कहा- जो भारत के भले के लिए आता है, उस पर लागू नहीं होगा
शाह ने कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी की ओर से उठाए गए विदेशी नागरिक को देश में प्रवेश से रोकने के अधिकार का जवाब दिया।
शाह ने कहा- पहले भी कानून में ये अधिकार अधिकारियों के पास ही था। हमने 2019 में ये प्रथा बनाई कि 24 बिंदू पर पूरी जांच करके ही किसी को रोका जा सकता है।
किसी को भी खुली छूट नहीं दी है। फांसी की सजा वाले अपराधी की जांच भी हेड कांस्टेबल ही करता है।
संविधान बना, संविधान के तहत हम जीतकर आए। कोई मंत्री बना कोई विपक्ष का नेता बना। देश की सुरक्षा का जहां सवाल होता है तो कोर्ट ही एकमात्र शरण है।
इसमें कहीं अपील का अधिकार नहीं है। जो भारत के भले के लिए आता है, उस पर लागू नहीं होगा। जिनसे सुरक्षा को खतरा है, उन पर लागू होगा।
इससे विश्वविद्यालय पर कोई बोझ नहीं आएगा। सब कुछ ऑनलाइन है, एक रिपोर्ट नहीं दे सकते कि हमारे विश्वविद्यालय में इतने विदेशी पढ़ते हैं। क्यों छिपाना, इसकी जानकारी लेना सरकार का अधिकार है।

