
फरीदाबाद: शुक्रवार, 14 मार्च को इस्कॉन फरीदाबाद, सेक्टर 37 मंदिर और दुनियाभर के इस्कॉन केंद्रों में एक भव्य उत्सव आयोजित किया गया। इस अवसर पर भक्तजन एकत्रित हुए और कलियुग के स्वर्णिम अवतार, श्री चैतन्य महाप्रभु के प्राकट्य दिवस का उल्लासपूर्वक उत्सव मनाया।
कलियुग में भगवान का गुप्त अवतार
भगवद गीता में उल्लेख मिलता है कि भगवान श्रीकृष्ण प्रत्येक युग में धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश के लिए अवतरित होते हैं। कलियुग में वे एक गुप्त अवतार के रूप में प्रकट हुए—चैतन्य महाप्रभु, जिन्होंने मानवता को भक्ति (भगवान की प्रेममयी सेवा) का मार्ग दिखाया और भगवान के प्रति सर्वोच्च प्रेम प्राप्त करने की विधि सिखाई।
शास्त्रों में चैतन्य महाप्रभु का प्रमाण
श्रीमद्भागवत, नरसिंह पुराण, गरुड़ पुराण, पद्म पुराण और नारद पुराण जैसे प्राचीन वैदिक ग्रंथों में स्पष्ट रूप से उल्लेख मिलता है कि चैतन्य महाप्रभु स्वयं श्रीकृष्ण ही हैं।
चैतन्य महाप्रभु का अवतरण
चैतन्य महाप्रभु का जन्म 27 फरवरी 1486 को पश्चिम बंगाल के नवद्वीप, मायापुर में पूर्णिमा की रात्रि को चंद्र ग्रहण के दौरान हुआ। उन्होंने साची माता को अपनी माता और जगन्नाथ मिश्र को अपने पिता के रूप में चुना। कृष्ण के श्याम वर्ण के विपरीत, चैतन्य महाप्रभु स्वर्णिम रंग में प्रकट हुए।
उनके अवतरण के दो प्रमुख कारण
- श्रीकृष्ण स्वयं यह अनुभव करना चाहते थे कि राधा जी को उनकी प्रेममयी सेवा से कैसा आनंद मिलता है।
- वे मानवता को यह सिखाना चाहते थे कि भगवान की शरण में कैसे जाया जाए, जैसा कि भगवद गीता में बताया गया है।
संकीर्तन आंदोलन का प्रचार
चैतन्य महाप्रभु ने कलियुग के धर्म—संकीर्तन (हरिनाम संकीर्तन) का प्रचार किया। उन्होंने भक्तों को समूह में श्रीकृष्ण के पवित्र नाम—
“हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे”
—का संकीर्तन करने का उपदेश दिया, जिससे संपूर्ण जगत भगवान के प्रेम में डूब जाए।
इस्कॉन में चैतन्य महाप्रभु की आराधना
इस्कॉन के संस्थापक-आचार्य, श्रील ए. सी. भक्तिवेदांत प्रभुपाद ने इस्कॉन के सभी मंदिरों में श्री चैतन्य महाप्रभु की पूजा पर विशेष बल दिया।
गोपेश्वर दास जी का संदेश
इस्कॉन फरीदाबाद के मंदिर अध्यक्ष गोपेश्वर दास ने कहा, “हम श्रीकृष्ण के सभी अवतारों का प्राकट्य दिवस मनाते हैं, विशेष रूप से इस अवतार का, जिन्होंने हमें भगवान के प्रेम का वरदान दिया। वे जाति या रंग नहीं देखते और उन्होंने संकीर्तन, नृत्य और कृष्ण प्रसाद के माध्यम से भगवान को प्राप्त करने का सहज, व्यावहारिक और सभी के लिए सुलभ मार्ग प्रदान किया।”
उत्सव का आयोजन
इस्कॉन फरीदाबाद में उत्सव की शुरुआत सुबह 4:30 बजे मंगल आरती से हुई, जिसके बाद कीर्तन, प्रवचन, और ताजे अंगूरों से वेदी का विशेष श्रृंगार किया गया। प्रातः 5:39 बजे अभिषेक समारोह संपन्न हुआ और सभी भक्तों के बीच प्रसाद वितरण किया गया। इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण इस्कॉन फरीदाबाद के यूट्यूब चैनल पर भी किया गया।

