कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को PM मोदी को लेटर लिखा है। इसमें लोकसभा के डिप्टी स्पीकर (उपाध्यक्ष) के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है।
देश में अबतक 14 डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं। इतिहास रहा है कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को दिया जाए। जिससे संसद में संतुलन और निष्पक्षता बनी रहे। हालांकि यह कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है।
16वीं लोकसभा (2014) में NDA में शामिल रहे अन्नाद्रमुक के थंबीदुरई को यह पद दिया गया था। जबकि 17वीं लोकसभा (2019) में किसी को भी डिप्टी स्पीकर नहीं बनाया गया था। 18वीं लोकसभा (2024) में भी किसी को डिप्टी स्पीकर नहीं बनाया गया है।
खड़गे ने लिखा- बिना देरी के डिप्टी स्पीकर के चुनाव कराए जाएं
खड़गे ने लिखा- मैं लोकसभा में उपाध्यक्ष के पद के खाली होने के संबंध में मौजूदा अत्यंत चिंताजनक मामले की ओर आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए लिख रहा हूं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 में लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों के चुनाव का प्रावधान है। संवैधानिक रूप से उपाध्यक्ष, अध्यक्ष के बाद सदन का दूसरा सबसे बड़ा पीठासीन अधिकारी होता है।
उन्होंने लिखा कि पहले की बातों को ध्यान में रखते हुए और सदन की सम्मानित परंपराओं और हमारी संसद के लोकतांत्रिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए मैं आपसे बिना किसी देरी के लोकसभा के उपाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया आरंभ करने का अनुरोध करता हूं।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 93 क्या है
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 93 लोकसभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के चुनाव से संबंधित है। इसके मुताबिक, लोकसभा के सदस्य दो सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तौर पर चुनेंगे। अगर इन दोनों में से कोई भी पद रिक्त (जैसे, इस्तीफा, निधन, या हटाने के कारण) होता है तो सदन उसका जल्द से जल्द फिर चुनाव करेगा।
अनुच्छेद में ‘जितनी जल्दी हो सके’ बात कही गई है, लेकिन कोई तय समय सीमा नहीं दी गई है। जिसके कारण डिप्टी स्पीकर की नियुक्ति में देरी को लेकर विवाद है, जैसा कि 17वीं और 18वीं लोकसभा में देखा गया है।

