वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ सोमवार को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इसमें AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए।
ओवैसी ने कहा- हम इस बिल का विरोध करते हैं। बिल में प्रावधान है कि कल कोई यह कहता है कि यह मस्जिद नहीं है और कलेक्टर जांच बैठा देते हैं तो जांच पूरी होने तक मस्जिद हमारी संपत्ति नहीं होगी।
वक्फ बिल को मौजूदा बजट सत्र में लाया जा सकता है। ये सत्र 4 अप्रैल तक चलेगा। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का मकसद डिजिटलीकरण, बेहतर ऑडिट, बेहतर पारदर्शिता और अवैध रूप से कब्जे वाली संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी सिस्टम में सुधारों को लाकर इन चुनौतियों को हल करना है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बोला- हमारी बातों को नजरअंदाज किया गया
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने बताया कि संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को करीब 5 करोड़ मुसलमानों ने ई-मेल के माध्यम से अपनी राय बताई, लेकिन सबकुछ नजरअंदाज कर दिया गया।
उन्होंने इस बात को दोहराया कि यह विधेयक पारित हुआ तो राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। धरने में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और जनता दल (यू) जैसे भाजपा के सहयोगी दलों को न्योता नहीं दिया गया है।
पर्सनल लॉ बोर्ड पहले 13 मार्च को धरना देने वाला था। उस दिन संसद में संभावित छुट्टी के चलते कई सांसदों ने अपनी उपस्थिति को लेकर असमर्थता जताई, जिसके बाद कार्यक्रम में बदलाव किया गया।
जगदंबिका पाल बोले- ये संसद के अधिकार को चुनौती
वक्फ बिल के संशोधन के लिए JPC के चेयरमैन और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि अगर वे वक्फ संशोधन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं, तो कहीं न कहीं वे देश के लोगों में नफरत पैदा करने और संसद के कानून बनाने के अधिकार को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं। वे लोगों को भ्रमित करने और मतभेद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उनके द्वारा उठाया गया यह कदम लोकतांत्रिक नहीं है।
संसद ने 1954 में बनाया था वक्फ एक्ट
वक्फ में मिलने वाली जमीन या संपत्ति की देखरेख के लिए कानूनी तौर पर एक संस्था बनी, जिसे वक्फ बोर्ड कहते हैं। 1947 में देश का बंटवारा हुआ तो काफी संख्या में मुस्लिम देश छोड़कर पाकिस्तान गए थे। वहीं, पाकिस्तान से काफी सारे हिंदू लोग भारत आए थे। 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट 1954 के नाम से कानून बनाया।
इस तरह पाकिस्तान जाने वाले लोगों की जमीनों और संपत्तियों का मालिकाना हक इस कानून के जरिए वक्फ बोर्ड को दे दिया गया। 1955 में यानी कानून लागू होने के एक साल बाद, इस कानून में बदलाव कर हर राज्यों में वक्फ बोर्ड बनाए जाने की बात कही गई।
इस वक्त देश में अलग-अलग प्रदेशों के करीब 32 वक्फ बोर्ड हैं, जो वक्फ की संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन, देखरेख और मैनेजमेंट करते हैं। बिहार समेत कई प्रदेशों में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड हैं।
वक्फ बोर्ड का काम वक्फ की कुल आमदनी कितनी है और इसके पैसे से किसका भला किया गया, उसका पूरा लेखा-जोखा रखना होता है। इनके पास किसी जमीन या संपत्ति को लेने और दूसरों के नाम पर ट्रांसफर करने का कानूनी अधिकार है। बोर्ड किसी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी नोटिस भी जारी कर सकता है। किसी ट्रस्ट से ज्यादा पावर वक्फ बोर्ड के पास होती है।

