फरीदाबाद: भगवती सीता जी के प्राकट्य दिवस — सीता नवमी का पावन उत्सव इस्कॉन फरीदाबाद में भक्तिभाव और उल्लास के साथ मनाया गया। यह दिव्य तिथि माता सीता के धरती पर प्रकट होने की स्मृति में मनाई जाती है, जो भगवान श्रीराम की परम भक्त एवं धर्मपत्नी थीं।
जब-जब भगवान अवतार लेते हैं, तब-तब लक्ष्मी जी भी उनके साथ लीला करने हेतु पृथ्वी पर अवतरित होती हैं। माता सीता का प्राकट्य भी एक ऐसी ही लीला का भाग था। वे मिथिला के राजा जनक द्वारा यज्ञ के लिए भूमि जोतते समय धरती से प्रकट हुईं और उनकी दत्तक पुत्री बनीं।
माता सीता का जीवन आदर्श नारीत्व, पवित्रता, समर्पण और साहस का प्रतीक है। उनकी अडिग निष्ठा और प्रेम ने उन्हें सनातन संस्कृति में त्याग, शील और धर्मपरायणता की मूर्ति बना दिया है। कठिन परिस्थितियों में भी उनके धर्म और पति के प्रति समर्पण ने सभी को प्रेरित किया है।
इस शुभ दिन का आरंभ सुबह 4:30 बजे मंगल आरती से हुआ, जिसके बाद जप, कथा, कीर्तन और प्रातः 10:30 बजे अभिषेक का आयोजन हुआ। अंत में भक्तों के लिए स्वादिष्ट प्रसाद की व्यवस्था की गई, जिससे सभी का मन आनंदित हो उठा।
मंदिर अध्यक्ष गोपेश्वर दास ने इस अवसर पर कहा —
“हम माता सीता जी से प्रार्थना करते हैं कि वे हम पर कृपा करें और हमें श्रीराम जी की सेवा और उनकी भक्ति में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करें। आज का दिन विशेष रूप से उनकी कृपा प्राप्त करने का है। इसलिए हम सभी को आमंत्रित करते हैं कि कीर्तन में भाग लें, उनकी कथा सुनें, उनकी महिमा गायें और उनकी शरण में जाएं।”
सीता नवमी का यह आयोजन भक्तों के लिए भक्ति, श्रद्धा और आनंद का संगम रहा, जिसने उन्हें धर्म और नारी आदर्शों की ओर प्रेरित किया।

