फरीदाबाद, 08 मई । प्रदेश भर के प्राइवेट स्कूलों में अब राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबें ही लगाई जाएंगी। अब प्राइवेट स्कूल संचालक अपने स्कूलों में मनमाने ढंग से निजी प्रकाशकों की किताबें नहीं लगा सकेंगे। इसे लेकर विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश भर के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर अपने क्षेत्र में चल रहे सभी निजी विद्यालयों में पहली से 12वीं कक्षा तक के बच्चों की शिक्षा के लिए एनसीईआरटी की किताबें लगवाने के आदेश जारी किए हैं। इस बारे में हरियाणा अभिभावक एकता मंच का कहना है कि यह एक कागजी कार्रवाई है इस प्रकार के आदेश केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड सीबीएसई व शिक्षा निदेशक हरियाणा कई बार पहले भी जारी कर चुका है लेकिन स्थानीय शिक्षा विभाग के अधिकारियों व प्राइवेट स्कूल संचालकों की आपसी मिलीभगत के चलते उन आदेशों पर अमल नहीं हुआ है। मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व जिला सचिव डॉ मनोज शर्मा ने कहा है इससे पहले शिक्षा निदेशक ने 8/79-2016पीसी (1) 12फरवरी 2018 को व सीबीएसई ने सर्कुलर नंबर 7/2017 दिनांक 14 फरवरी 2017 को आदेश निकाल कर हरियाणा व सीबीएसई बोर्ड के सभी प्राइवेट स्कूलों से कहा था कि वे अपने स्कूल में कक्षा 1 से 12 तक प्राइवेट प्रकाशकों की जगह एनसीईआरटी की किताबें ही लगाएं। इतना ही नहीं क्लास वाइज बच्चों के बस्ते का बजन भी तय किया गया था लेकिन किसी भी स्कूल ने इन आदेशों का पालन नहीं किया। मंच ने इसकी शिकायत कई बार चेयरमैन एफएफआरसी व जिला शिक्षा अधिकारी से लिखित में सबूत के साथ की थी लेकिन इन अधिकारियों ने दोषी स्कूलों के खिलाफ कोई भी उचित कार्रवाई नहीं की। मंच का आरोप है कि प्राइवेट स्कूल संचालक कमीशन खाने के चक्कर में अपने स्कूल में एनसीईआरटी की किताबों की जगह प्राइवेट प्रकाशकों की मोटी और गैरजरूरी किताबें लगाकर एक तो मोटा मुनाफा कमा रहे हैं दूसरा बच्चों के मासूम कंधों पर बस्ते का बोझ बढ़ाकर उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।
निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें लगाने के शिक्षा निदेशक के आदेश को मंच ने बताया कागजी कार्रवाई
इस न्यूज़ पोर्टल अतुल्यलोकतंत्र न्यूज़ .कॉम का आरम्भ 2015 में हुआ था। इसके मुख्य संपादक पत्रकार दीपक शर्मा हैं ,उन्होंने अपने समाचार पत्र अतुल्यलोकतंत्र को भी 2016 फ़रवरी में आरम्भ किया था। भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से इस नाम को मान्यता जनवरी 2016 में ही मिल गई थी ।
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