फरीदाबाद। उपायुक्त (डीसी) आयुष सिन्हा ने बताया कि वायु गुणवत्ता आयोग भारत सरकार व उच्चतम न्यायालय के आदेश अनुसार आगामी गेहूं कटाई के सीजन में आगजनी की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन ने तैयारियां शुरु कर दी हैं। इसके लिए गत 8 दिसंबर को संयुक्त निदेशक (कृषि अभियंत्रण) हरियाणा पंचकूला द्वारा भी राज्य के सभी सहायक कृषि अभियंताओ की बैठक बुलाई जिसमें आगामी सीजन में फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं पर पूरी तरह से रोक के लिए व्यापक कार्य योजना तैयार करने पर चर्चा की। सभी फील्ड अधिकारियों को अभी से तैयारियां शुरू करने के निर्देश दिए है। कैंप लगाकर किसानों को जागरूक करें |
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डॉ अनिल सेहरावत ने बताया कि जिले में लगभग 24 हजार 600 हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई की गई, जिसमें लगभग 1 लाख 23 हजार मीट्रिक टन फसल अवशेष का उत्पादन होता है। इसका प्रबंधन किसान स्ट्रा रीपर मशीन से तुड़ी बनाकर करते हैं, जिसका उपयोग पशुओं के चारे के लिए किया जाता है, जो पशुओं के लिए अच्छा चारा माना जाता है। कुछ किसान स्ट्रा रीपर से तुड़ी बनाने के बाद मेड़ो पर बचे हुए अवशेषों में आग लगा देते है जिससे वातावरण प्रदूषित होता है और भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर होती है, वही जान माल के नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है इसलिए सभी किसान भाई फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन करके अपनी आय बढ़ाये । सहायक कृषि अभियंता इंजिनियर राकेश कुमार ने बताया कि गेहूं के अवशेषों के प्रबंधन के लिए किसानों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं। किसानों को इससे होने वाले नुकसान के बारे में ज्यादा से ज्यादा सजग करने के लिए कहा गया है।
संयुक्त निदेशक (कृषि अभियंत्रण) इंजीनियर जगमिंदर नैन ने बताया कि सीएक्यूएम के आदेशनुसार यदि कोई किसान गेहूं के फानों में आग लगाता पाया गया तो उनके खिलाफ 5 हज़ार से 30 हजार रुपये तक का जुर्माना, एफआईआर व मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रेड एंट्री की जाएगी, जिससे वह किसान 2 वर्ष तक अपनी फसल एमएसपी पर नहीं बेच पाएगा।

