फरीदाबाद। 37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले में पटना से आए शिल्पकार विश्वनाथ दास बेकार हो चुके जूट और कपड़ों से अनोखा चप्पल बनाते हैं। इसकी खासियत यह है कि चप्पल पहनने की मियाद पूरी होने पर फैंकने के बाद वह खाद बन जाती है।
विश्वनाथ दास अपनी धर्मपत्नी रीता दास के साथ मिलकर पिछले 25 साल से इस काम को कर रहे हैं। बीकॉम पास पति-पत्नी इससे पहले करीब दस साल तक विभिन्न बड़ी कंपनियोंं में नौकरी भी कर चुके हैं।
आत्मनिर्भर बनने की सोच ने दोनो पति-पत्नी को शिल्पकार बना दिया। तंगी के दौर में पांच हजार रुपए उधार लेकर दोनो ने इस कारोबार को शुरू किया था। आज वह सैकड़ों लोगों को आत्मनिर्भर बनाकर महीने में करीब 70 से 80 हजार रुपए तक की आमदनी भी कर रहे हैं। इसी कारोबार से उन्होंने अपने बड़े बेटे को एयरक्राफ्ट इंजीनियर और छोटे बेटे को डॉक्टर बनाया है।
इनका उद्देश्य देश के ग्रामीण युवाओं को अपने हुनर और कम लागत से आत्मनिर्भर बनाना है।

