फरीदाबाद। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आज फरीदाबाद में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में 1947 के भारत विभाजन की भीषण त्रासदी का स्मरण करते हुए लाखों विस्थापित परिवारों की पीड़ा और संघर्ष को नमन किया। इस मौके पर उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि विभाजन से संबंधित साहित्य एवं दस्तावेजों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी ताकि लोगों को विभाजन के बारे में जानकारी मिल सके। साथ ही, विभाजन विभीषिका के विषय को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा, ताकि हमारे पूर्वजों ने जो अत्याचार सहे उनकी जानकारी आने वाली पीढिय़ों को मिल सके।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक परंपराओं के कारण बेटियों की शादी के बाद उनका नाम बदल दिया जाता है और दस्तावेजों में नाम बदलने के कारण दिक्कतें आती हैं, इसके लिए हरियाणा सरकार द्वारा नाम में संशोधन करने के लिए एक विशेष प्रावधान किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कुरुक्षेत्र में विभाजन विभीषिका स्मृति स्मारक के निर्माण के लिए अपने ऐच्छिक कोष से 51 लाख रुपये देने की घोषणा की। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री व अन्य अतिथियों ने विभाजन का दंश झेलने वाले पूर्वजों को सम्मान देते हुए प्रतीकात्मक रूप से सरदार मोहर सिंह भाटिया, जो विभाजन के समय सिर्फ 7 साल के थे, उन्हें शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने विभाजन की विभीषिका में जान गंवाने वाले पूर्वजों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि यह दिन हमें वर्ष 1947 के उस भयानक समय की याद दिलाता है, जब भारत का विभाजन हुआ था।
इस विभाजन ने न केवल देश को दो टुकड़ों में बांटा, बल्कि लाखों परिवारों के जीवन में एक गहरा और दर्दनाक अध्याय भी लिख दिया। उनकी पीड़ा से आहत होकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश के बंटवारे को 20वीं शताब्दी की सबसे बड़ी त्रासदी कहा। उन्होंने 15 अगस्त, 2021 को स्वतंत्रता दिवस पर आजादी के अमृत महोत्सव का शुभारंभ करते हुए इस विभाजन में अपनी जान गंवाने वाले लोगों की याद में ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मनाने की घोषणा की थी। नायब सिंह सैनी ने कहा कि हरियाणा की इस भूमि ने बंटवारे के दर्द को कुछ अधिक ही सहन किया है। यहां से अनेक परिवार पाकिस्तान तो गए ही, उस समय के पश्चिमी पंजाब से उजडक़र आने वाले परिवारों की संख्या भी अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है। बेशक आज देश बहुत आगे बढ़ गया है, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, लेकिन देश के विभाजन के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि फरीदाबाद शहर उस त्रासदी का जीता-जागता प्रमाण है।
जब देश का बंटवारा हुआ, तो लाखों लोग अपना सब कुछ छोडक़र यहां आए थे। ये वे लोग थे, जिन्होंने अपने घर-बार, अपनी ज़मीनें और अपनी विरासत खो दी थीं। उनके सामने एक अनिश्चित भविष्य था, लेकिन उनके हौसले बुलंद थे। फरीदाबाद को उनके पुनर्वास के लिए एक नया शहर बनाने का निर्णय लिया गया। यह सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि आशा की एक नई किरण थी। विस्थापित लोगों ने अपनी मेहनत और लगन से इस शहर को खड़ा किया। उन्होंने न केवल अपने लिए एक नया शहर बनाया, बल्कि इस शहर को हरियाणा का एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र भी बना दिया। उन्होंने कहा कि देश के विभाजन की विभीषिका के पीडि़त लोगों की याद में फरीदाबाद के बडख़ल में एक स्मारक बनाया गया है। प्रदेश में अन्य स्थानों पर भी विभाजन विभीषिका स्मारक बनाए जा रहे हैं।
कुरुक्षेत्र के मसाना गांव में विश्व स्तरीय शहीदी स्मारक बनाया जाएगा। कार्यक्रम में केंद्रीय बिजली, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल ने अपने संबोधन में कहा कि आजादी से पहले देश का विभाजन होना एक ऐसी घटना थी, जिसने लाखों लोगों के जीवन को झकझोर दिया। उन्होंने कहा कि उस दौर में लोग जान बचाने के लिए नहीं, बल्कि देश प्रेम और अपने धर्म पर अडिग रहने के लिए यहां आए थे। वहां धर्म बदलकर जान, ज़मीन-जायदाद सब बच सकती थी, लेकिन उन्होंने यह रास्ता नहीं चुना। उस समय भी कहा जाता था कि आज़ादी भले देर से मिले लेकिन विभाजन नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जो परिवार पश्चिमी पंजाब से आए थे, तब तो पाकिस्तान बना भी नहीं था, फिर भी उन परिवारों को ‘पाकिस्तानी’ और ‘रिफ्यूजी’ कहा जाता था। उन्होंने कहा कि जब उस दौर में विस्थापितों को आरक्षण देने का प्रस्ताव आया, तो समाज ने एकजुट होकर कहा कि उन्हें आरक्षण नहीं चाहिए। उन लोगों ने व्यापार, शिक्षा और सामाजिक उत्थान में मेहनत और पुरुषार्थ के साथ प्रगति की। हमारी पहचान भारतीय नागरिक के रूप में है और प्रदेश के रूप में हम हरियाणवी हैं।
कार्यक्रम में केंद्रीय कृष्ण पाल गुर्जर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले पूरा देश आज विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मना रहे हैं। 14 अगस्त 1947 की उस काली रात को कौन भुला सकता है। जिन्ना और नेहरू की प्रधानमंत्री बनने की लालसा और मुस्लिम लीग के धर्म के आधार पर देश बनाने की जिद ने भारत का बंटवारा कर दिया।
हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष डॉ. कृष्ण लाल मिड्ढा ने कहा कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर 1947 के विभाजन के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले लाखों लोगों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि 1947 का विभाजन मानव इतिहास की सबसे भीषण त्रासदियों में से एक था, जिसमें लगभग 10 से 12 लाख लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। लाखों परिवार उजड़ गए, माताओं-बहनों की अस्मिता की रक्षा हेतु स्वजन ने स्वयं बलिदान दिया, और ट्रेनें लाशों से भरी हुई सीमाओं पर पहुँचीं। उन्होंने कहा कि उस दौर का दर्द आज भी पीढिय़ों की स्मृतियों में जिंदा है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष श्री मोहन लाल कौशिक ने कहा कि विभाजन की विभीषिका इतनी भयानक थी कि अनगिनत लोग अत्याचारों के शिकार हुए और अनेक लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। पंचनद स्मारक ट्रस्ट के प्रदेश अध्यक्ष श्री सुभाष सुधा ने कहा कि भारत के विभाजन के समय अपने प्राणों की आहुति देने वाले लगभग 10 लाख लोगों की स्मृति में समाज का योगदान और उनकी बलिदानी गाथा सदैव प्रेरणास्रोत रहेगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 से ही ट्रस्ट ने विभाजन के पीडि़तों की स्मृतियों को संजोने का प्रयास आरंभ किया और एक भव्य संग्रहालय (म्यूजियम) की स्थापना का संकल्प लिया।
कार्यक्रम में पंचनद स्मारक ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी धर्मदेव, कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार, विपुल गोयल, डॉ. अरविंद शर्मा, श्याम सिंह राणा, श्रीमती श्रुति चौधरी, राज्य मंत्री राजेश नागर, गौरव गौतम, विधायक मूलचंद शर्मा, सतीश फागना, श्रीमती बिमला चौधरी, धनेश अदलखा, विनोद भ्याणा और लक्ष्मण यादव, मेयर प्रवीण बत्रा जोशी, पूर्व विधायक एवं मंत्री सीमा त्रिखा, पूर्व सांसद संजय भाटिया,
पूर्व राज्य सभा सांसद मेजर जनरल डीपी वत्स, पूर्व विधायक दीपक मंगला, टेकचंद शर्मा, प्रवीण डागर, जगदीश नायर, नरेंद्र गुप्ता, मीडिया सलाहकार राजीव जेटली, मुख्यमंत्री के पूर्व राजनीतिक सचिव अजय गौड़, आयोजन समिति के प्रदेश सचिव जगदीश चोपड़ा, राष्ट्रीय परिषद सदस्य संदीप जोशी, जिला अध्यक्ष पंकज रामपाल, फऱीदाबाद महानगर जिला अध्यक्ष सोहनपाल सिंह, पलवल जिला अध्यक्ष विपिन बैसला सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।

