फरीदाबाद। वाटर ट्रीटमेंट और उसके रियूज को लेकर औद्योगिक नगरी पूरे प्रदेश में एक मॉडल की तरह काम करेगी। इसको लेकर नगर निगम से प्रदेश सरकार ने पूरी रिपोर्ट भी मांगी है। रिपोर्ट में यह बताना होगा कि इस व्यवस्था को पूरे प्रदेश में किस तरह से लागू किया जा सकता है। ताकि जल सरंक्षण को लेकर काम किया जा सके। निगम की इंजीनियरिंग शाखा पूरी रिपोर्ट तैयार करने में जुट गई है। हाल में ही वाटर ट्रीटमेंट और रियूज को लेकर फरीदाबाद नगर निगम की ओर से वर्कशाप का आयोजन किया गया था।
इसमें कार्यकारी अभियंता नितिन कादियान ने प्रदेश भर से आए इंजीनियर को ट्रेनिंग दी थी। वर्कशाप में बताया गया कि पानी की बढ़ती किल्लत को रोकने के लिए किस तरह से एसटीपी सहायक हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि वाटर ट्रीटमेंट और रियूज से कम से कम 93 प्रतिशत पानी की किल्लत को समाप्त किया जा सकता है। इस दौरान सभी कार्यकारी अभियंता ने बादशाहपुर और मिर्जापुर एसटीपी का दौरा भी किया गया था। जिले में बादशाहपुर एसटीपी में 90 एमएलडी पानी को ट्रीट किया जा रहा है। वहीं मिर्जापुर एसटीपी में निगम 120 एमएलडी पानी को ट्रीट करके रियूज कर रहा है। यह पानी खेतों में सिंचाई और निर्माण कार्य में प्रयोग किया जा रहा है।
निगम आयुक्त से सीवर कनेक्शन को एसटीपी से जोडऩे का काम शुरू कर दिया है। ताकि ड्रेन में केवल वर्षा का पानी ही जा सके। अभी केवल नाममात्र कालोनियों के सीवर कनेक्शन ही एसटीपी से हो रखे है। बाकी सीवर का पानी ड्रेन में गिराया जाता है। फिर यही ड्रेन का पानी यमुना नदी में जाकर मिलता है। निगम वाटर ट्रीटमेंट और रियूज से आगे बढक़र एएसआर मॉडल एक्यूफायर स्टोरेज एंड रिकवरी) पर भी काम करने की योजना बना रहा है। इसमें भूजल स्तर तेजी से बढ़ता है।
पानी भी आपात स्थिति में स्टोर रहता है। अभी केवल आस्ट्रेलिया ही इस मॉडल पर काम कर रहा है। वर्तमान में भूजल स्तर बढ़ाने के लिए रेनवाटर हारवेस्टिंग सिस्टम लगाए गए हैं, लेकिन यह सिस्टम दो से तीन साल में काम करना बंद कर देते हैं। कार्यकारी अभियंता नितिन कादियान ने आस्ट्रेलिया में वाटर ट्रीटमेंट और उसके रियूज को लेकर हुई ट्रेनिंग में एएसआर माडल पर भी काम किया था। प्रदेश सरकार भेजी जाने वाली रिपोर्ट में निगम की ओर से एएसआर मॉडल का भी विवरण किया जाएगा।

