Palwal ( अतुल्य लोकतंत्र) मुकेश बघेल/ कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पलवल द्वारा बुधवार को गांव घोड़ी स्थित ओम वाटिका में किसान क्लब की बैठक का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्ष पूर्व एडीसी हितेश कुमार ने की। इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. पवन कुमार शर्मा, प्रगतिशील किसान क्लब के अध्यक्ष बिजेंद्र दलाल, भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष सुन्दर सिंह, जयपाल सिंह, ईफ्को से रोहताश, पशु विज्ञान केंद्र से डा. रेखा दहिया, कृभको से अनिल कुमार तथा सहायक कृषि अभियंता से उपेश जोशी सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे।
कृषि उपनिदेशक डा. पवन कुमार शर्मा ने कहा कि हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए मेरा पानी-मेरी विरासत योजना चलाई है।
हरियाणा सरकार द्वारा ऐसे किसानों जो धान की फसल की खेती न करते हुए मक्का, कपास सहित अन्य फसल की खेती करते हैं, उन सभी किसानों को 7 हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि के रूप में प्रदान किए जाएगें। खंड तकनीकी प्रबंधक पलवल सुन्दर सिंह ने सरकार द्वारा चलाई जा रही जल संरक्षण जागरूकता अभियान के विषय में किसानो को जागरूक किया। सहायक तकनीकी प्रबंधक अतुल शर्मा ने प्राकृतिक कृषि के विषय में किसानों को जागरूक करते हुए किसानो से कहा कि जिला पलवल पूरे राज्य में प्राकृतिक खेती के पंजीकरण में प्रथम स्थान पर हैं। जिले के 90 किसानों को अनुदान पर 4-4 ड्रम जीवामृत, बीजामृत इत्यादि बनाने के लिए उपलब्ध कराए हैं। विभाग को 450 किसानों की सूची देशी गाय के अनुदान के लिए प्राप्त हुई है और जल्द ही विभाग इस सूची को सत्यापित कर पशुपालन विभाग को सौंप देगा, जिसके उपरांत किसानो को अनुदान पर अधिकतम 25 हजार रुपए डीबीटी के माध्यम से देने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। इसके साथ सभी विशेषज्ञों ने अपने-अपने विषयो से संबंधित जानकारियां किसानो से सांझा की। सरकार द्वारा यह योजना पानी के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए चलाई गई है, ताकि आने वाली पीढिय़ों को पानी की समस्या से निजात दिलाई जा सके।
डा. पवन कुमार शर्मा ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जागरूक करते हुए कहा कि गेहूं की फसल की कटाई के उपरांत खेतों में फसल अवशेष बच जाते है। किसान फसल अवशेषों को आग लगा देते है, जिससे वायु प्रदूषण होता है। उन्होंने कहा कि किसान फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन करें। फसल अवशेषों का प्रबंधन करने से भूमि की उर्वरक शक्ति बढ़ती है और किसानों को आर्थिक लाभ भी प्राप्त होता है। बैठक में किसानों को फसल विविधिकरण के बारे में बताया गया कि पारंपरिक फसलों के साथ-साथ नई फसलों का उत्पादन करें। फसल विविधिकरण से किसानों की आय में बढ़ोतरी होती है। इस अवसर पर किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक किया गया। उन्होंने किसानों को जागरूक करते हुए कहा कि रासायनिक खादों के प्रयोग से भूमि के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में किसानों को प्राकृतिक खेती की आरे अग्रसर होना चाहिए। किसान अपने खेतों पर जैविक खाद तैयार करें और फसलों में उसका प्रयोग करें। फसल की बिजाई से पहले हरी खाद के लिए ढैंचा लगाएं। सरकार द्वारा ढैंचा तथा मूंग के बीज पर क्रमश: 80 प्रतिशत व 75 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने किसानों को कृषि यंत्रों और आधुनिक तकनीकी के बारे में विस्तृत जानकारी दी। प्राकृतिक कृषि व मोटा अनाज के लिए किसानों के साथ मिलकर रोड शो भी निकाला गया, जिसमें ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्राकृतिक कृषि अपनाने व मोटा अनाज उगाने के लिए जागरूक किया गया।