बिहार विधानसभा से एंटी पेपर लीक विधेयक पास हो गया है। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद यह बिल राज्य में लागू हो जाएगा। इस बिल के मुताबिक, अब पेपर लीक को सीरियस क्राइम माना जाएगा। विधानसभा से कानून पास होने के बाद पेपर लीक मामले के आरोपियों पर नॉन बेलेबल धाराएं लगाई जाएंगी।
नए कानून में 3 से 10 साल की सजा और 10 लाख से 1 करोड़ तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है। ये नियम राज्य सरकार की तरफ से आयोजित होने वाली सभी परीक्षाओं में लागू होंगे। इसके अलावा जो भी संस्था पेपर लीक में शामिल होगी उसे 4 साल के लिए ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा। विपक्ष के हंगामा को देखते हुए सदन गुरुवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
इस बिल को मानसून सत्र के दूसरे दिन ही पेश होना था, लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण सरकार इसे पेश नहीं कर पाई। सदन में एंटी पेपर लीक विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया।
डीएसपी रैंक के अधिकारी करेंगे मामले की जांच
नए नियम के मुताबिक अब पेपर लीक मामले की जांच भी डीएसपी रैंक के अधिकारी से कराई जाएगी। इसके साथ ही नए कानून में इस बात का भी प्रावधान किया गया है कि मामले की जांच सरकार किसी भी जांच एजेंसी से करवा सकती है।
विपक्ष पर भड़के सीएम नीतीश
विपक्ष के विधायक सदन में आरक्षण के समर्थन में बेल में तख्तियां लहराने लगे। स्पीकर नंदकिशोर यादव ने सभी से वेल से जाने की अपील की, लेकिन विपक्ष के नेता मुख्यमंत्री के खिलाफ नारे लगाने लगे। जवाब में सीएम नीतीश ने विपक्ष के नेताओं से कहा आप सब का हाय हाय। चुपचाप बैठ जाइए।
विपक्ष की मांग है कि 75 प्रतिशत आरक्षण को 9वीं अनुसूचित में शामिल किया जाए। वहीं, विपक्ष के विरोध पर मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि हमलोग केंद्र को अनुशंसा कर चुके हैं। मामला कोर्ट में है। सदन में आज भी नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और राजद नेता तेज प्रताप यादव नहीं आए।
इधर, स्पीकर नंदकिशोर यादव भी विपक्ष पर भड़क गए। स्पीकर ने कहा कि विपक्ष नहीं चाहता कि सदन चले।
देश में एंटी-पेपर लीक कानून यानी पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट, 2024 लागू हो गया है। केंद्र ने शुक्रवार (21 जून) की आधी रात इसका नोटिफिकेशन जारी किया। यह कानून भर्ती परीक्षाओं में नकल और अन्य गड़बड़ियां रोकने के लिए लाया गया है। इस कानून के तहत, पेपर लीक करने या आंसर शीट के साथ छेड़छाड़ करने पर कम से कम 3 साल जेल की सजा होगी। इसे ₹10 लाख तक के जुर्माने के साथ 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

