भारतीय सेना की गजराज कॉर्प्स ने एक इन-हाउस हाई एल्टीट्यूड मोनो रेल सिस्टम तैयार किया है। यह स्मार्ट इनोवेशन अरुणाचल प्रदेश के 16 हजार फीट की ऊंचाई वाले दुर्गम पहाड़ी इलाकों में काम करने के लिए बनाया गया है, जिससे सैनिकों को जरूरी सामान तेजी से पहुंचाने में मदद मिलेगी।
यह नया सिस्टम कामेंग हिमालय रीजन में भारतीय सेना तक रसद पहुंचाने में मददगार है। यहां न तो रास्ता है, न ही कोई दूसरा वाहन पहुंच सकता है। पहाड़ों में, संकरे रास्तों, ढीली चट्टानों, अप्रत्याशित मौसम और सीमित ऑक्सीजन के कारण छोटी दूरियां भी लंबी और कठिन लगती हैं।
सैनिकों को अक्सर अपनी पीठ पर कई जरूरी सामान ढोने पड़ते थे। इसमें समय और मेहनत के साथ एक्स्ट्रा एफर्ट लगाने होते थे। अब, मोनो रेल से समय और मेहनत दोनों बचेंगे। साथ ही जोखिम भी कम होगा।
गजराज भारतीय सेना की चौथी कॉर्प्स (IV Corps) है। यह सेना की ईस्टर्न कमांड का हिस्सा है, जिसकी स्थापना 4 अक्टूबर 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय हुई थी। पूर्वोत्तर सुरक्षा की रीढ़ माना जाता है। इसका मुख्यालय तेजपुर (असम) में है।
इसे नॉर्थ-ईस्ट भारत की सुरक्षा, काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशन और सीमा प्रबंधन में सबसे सक्रिय और रणनीतिक कॉर्प्स माना जाता है। इस कोर के तहत 71 माउंटेन डिवीजन, 5 बॉल ऑफ फायर डिवीजन, 21 रियल हॉर्न डिवीजन शामिल हैं।
इसकी 1962 के भारत-चीन युद्ध में सक्रिय भूमिका रही थी। हालांकि उस समय इसकी शुरुआत हुई थी, लेकिन इसके जवानों ने अरुणाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों की रक्षा की थी। गजराज का अर्थ होता है हाथी, जो शक्ति, स्थिरता और पराक्रम का प्रतीक है। पूर्वोत्तर भारत में हाथियों की प्रमुख उपस्थिति और इस कॉर्प्स की ताकत को दर्शाने के लिए यह नाम चुना गया।
पूर्वी लद्दाख में चीन की सीमा के पास न्योमा एयरबेस को बुधवार को फिर से शुरू किया गया। भारतीय वायुसेना प्रमुख चीफ मार्शल एपी सिंह ने इसका उद्घाटन किया। उन्होंने गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस से सी-130जे ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ाकर न्योमा एयरबेस में लैंडिंग की।

