तमिलनाडु में बने कफ सिरप से एमपी-राजस्थान में बच्चों की मौत का मामला चर्चा में आने के बाद भारत के महालेखा परीक्षक (CAG) की 10 दिसंबर 2024 की तमिलनाडु के पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रचर एंड मैनेजमेंट ऑफ हेल्थ सर्विस से जुड़ी एक रिपोर्ट में सामने आई।
इसमें बताया गया है कि राज्य में ड्रग इंस्पेक्शन (टेस्टिंग) में कमी देखी गई थी। साथ ही ड्रग्स (दवा) सैंपल कलेक्शन में भी कमी की गई थी। तमिलनाडु में एक लाख सैंपल के टेस्टिंग का टारगेट था, लेकिन सिर्फ 66,331 टेस्ट ही किए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश-राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौत मामले में CBI या ज्यूडिशियल जांच की मांग खारिज कर दी है। CJI बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने ब्रीफ सुनवाई के बाद ये फैसला किया।
विशाल तिवारी ने याचिका में मांग की थी कि ये लापरवाही की चरम सीमा है। इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। केंद्र की ओर से पेश सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा-
MP के छिंदवाड़ा, बैतूल और पांढुर्णा में जहरीले कफ सिरप कोल्ड्रिफ के सेवन से अब तक 25 बच्चों की मौत हो चुकी है। सिरप बनाने वाली श्रीसन फार्मास्युटिकल का मालिक रंगनाथन 9 अक्टूबर को चेन्नई से गिरफ्तार किया गया। उसे आज छिंदवाड़ा लाया जा रहा है। मामले में जांच SIT कर रही है।
कांचीपुरम जिले के सुंगुवर्चत्रम में स्थित श्रीसन फार्मास्यूटिकल की यूनिट से कोल्ड्रिफ सिरप (बैच नंबर SR-13) जब्त किया गया। जांच में पता चला कि इसमें नॉन-फार्माकॉपिया ग्रेड प्रोपीलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल हुआ, जो संभवतः डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल से दूषित था। दोनों ही केमिकल किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले पदार्थ हैं।
जैसे ही सैंपल चेन्नई की सरकारी ड्रग्स टेस्टिंग लैब में भेजे गए, वहां से 24 घंटे में रिपोर्ट दी गई। इसमें पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप का यह बैच 48.6% w/v DEG से जहरीला और ‘Not of Standard Quality’ है। जबकि अन्य चार दवाओं (रेस्पोलाइट D, GL, ST और हेप्सैंडिन सिरप) को स्टैंडर्ड क्वालिटी का पाया गया।

