केंद्र ने सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश पर आपत्ति जताई है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से उनके नाम पर फिर विचार करने के लिए कहा है। इसके अलावा, केंद्र ने SC के जजों के रूप में नियुक्ति के लिए भेजे गए कई नाम भी SC कॉलेजियम को वापस भेज दिए हैं।
सौरभ के पिता भारत के पूर्व CJI
सौरभ समलैंगिक हैं और LGBTQ के अधिकारों के लिए मुखर रहे हैं। उन्होंने ‘सेक्स एंड द सुप्रीम कोर्ट’ किताब को एडिट भी किया है। वह भारत के पूर्व CJI बी एन कृपाल के बेटे हैं। पिछले साल, भारत के तत्कालीन CJI एनवी रमना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने सौरभ की पदोन्नति की सिफारिश की थी। कॉलेजियम के एक बयान में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 11 नवंबर, 2021 को हुई बैठक में दिल्ली हाईकोर्ट में जज के रूप में सौरभ की पदोन्नति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
2017 में भी भेजा गया था नाम
कृपाल का नाम बार-बार सरकार को भेजा गया है। 2017 में, दिल्ली हाईकोर्ट कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट के स्थायी जज के रूप में नियुक्ति की सिफारिश की थी। तब मेरिट का हवाला देते हुए सौरभ का नाम आगे नहीं बढ़ पाया था। इसके बाद सितंबर 2018, जनवरी और अप्रैल 2019 में भी सौरभ के नाम पर सहमति नहीं बन पाई।
कहा जाता है कि इंटेलीजेंस ब्यूरो की एक रिपोर्ट सौरभ के पक्ष में नहीं थी। दरअसल, सौरभ के पार्टनर यूरोप से हैं और स्विस दूतावास के साथ काम करते हैं। उनके विदेशी पार्टनर की वजह से सुरक्षा के लिहाज से उनका नाम रिजेक्ट कर दिया गया था। हालांकि, टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में सौरभ ने कहा है कि अभी तक जज नहीं बनने की वजह कहीं न कहीं मेरा सैक्सुअल ओरिएंटेशन भी है, क्योंकि अगर मंजूरी मिल जाती है तो कृपाल भारत के पहले गे (समलैंगिक) जज बन जाएंगे।
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