वरिष्ठ कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद के RSS को तालीबान कहने के बयान पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा ने कहा कि कांग्रेस हर राष्ट्रवादी संगठन को गाली देती है और पीएफआई व सिमी जैसे प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठनों से प्यार करती है।
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस की मानसिकता तालिबानी है। महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण ने आरएसएस की प्रशंसा क्यों की? (पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के दिग्गज नेता) दिवंगत प्रणब मुखर्जी आरएसएस मुख्यालय क्यों गए थे?
मैं RSS की तुलना तालिबान से ही करूंगा: बीके
पूर्व सांसद बीके हरिप्रसाद ने शनिवार को समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में आरएसएस की तारीफ करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की।
उन्होंने कहा- वे (आरएसएस) देश में शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं। मैं आरएसएस की तुलना तालिबान से ही करूंगा, वे भारतीय तालिबान हैं और प्रधानमंत्री लाल किले से उनकी सराहना कर रहे हैं।
आजादी की लड़ाई में नहीं है आरएसएस का योगदान
पूर्व राज्यसभा सांसद ने कहा- ‘क्या कोई ‘संघी’ था, जिसने आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था? यह शर्म की बात है कि आरएसएस एक पंजीकृत संगठन नहीं है। हमें नहीं पता कि उन्हें पैसा कहां से मिलता है। भाजपा और आरएसएस इतिहास को तोड़-मरोड़ने में माहिर हैं।
वे इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश कर रहे हैं। आजादी से पहले बंगाल के प्रधानमंत्री रहे एके फजलुल हक और संघ विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ही बंगाल में विभाजन का पहला प्रस्ताव पेश किया था। (मुहम्मद अली) जिन्ना और (विनायक) सावरकर का मानना था कि दोनों धर्मों के लिए एक अलग राज्य जरूरी है। वे इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने श्री हरिप्रसाद की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस को भारतीय सेना में गुंडे, ऑपरेशन सिंदूर में आत्मसमर्पण, आरएसएस में तालिबान और पाकिस्तान अपना ही नजर आता है। राष्ट्रवादी संगठनों को निशाना बनाने के कारण अदालतों ने भी कई बार उनकी खिंचाई की है।
पीएम मोदी ने भाषण में की थी आरएसएस की तारीफ
अपने 12वें स्वतंत्रता दिवस संबोधन में, प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को आरएसएस को 100 वर्ष पूरे होने पर बधाई दी। 25 सितंबर को संघ के शताब्दी समारोह से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- आज मैं गर्व के साथ कहना चाहता हूं कि 100 वर्ष पहले एक संगठन का जन्म हुआ था- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)। राष्ट्र सेवा के सौ वर्ष एक गौरवपूर्ण, स्वर्णिम अध्याय हैं।
‘व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण’ के संकल्प के साथ मा भारती के कल्याण के उद्देश्य से, स्वयंसेवकों ने अपना जीवन मातृभूमि के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। एक तरह से, आरएसएस दुनिया का सबसे बड़ा गैर सरकारी संगठन है। इसका 100 वर्षों का समर्पण का इतिहास है।

