जम्मू में एक साल से रह रहे लोगों को मतदाता बनाने वाला फैसला वापस ले लिया गया है। हालांकि, इसका औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है। बुधवार रात को जम्मू की डिप्टी कमिश्नर ने उस नोटिफिकेशन को वापस ले लिया, जिसमें सभी तहसीलदारों को जम्मू में एक साल से ज्यादा रहने वाले लोगों को आवास प्रमाण पत्र जारी करने के आदेश दिए गए थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारी विरोध के बाद यह फैसला वापस लिया गया है। केंद्रीय प्रशासित प्रदेश की ज्यादातर राजनीतिक पार्टियां इस फैसले का विरोध कर रही थीं। नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने कहा कि भाजपा चुनावों से डरती है। वह जानती है कि वह बुरी तरह हारेगी। इस कारण जम्मू-कश्मीर में 25 लाख गैर-स्थानीय मतदाताओं को जोड़ने की अपनी योजना के साथ आगे बढ़ रही है।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि इसका मतलब है कि जम्मू-कश्मीर के मतदाता के वोट का मूल्य खत्म हो जाएगा। जम्मू-कश्मीर को छोड़कर देश में कहीं भी यह कानून लागू नहीं है। उन्होंने कहा कि वोटिंग अधिकार जैसी चीजों का रास्ता साफ करने के लिए ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया गया है। ये डोगरा संस्कृति, पहचान, रोजगार और व्यवसाय को बर्बाद हो कर देगा।
जिला उपायुक्त ने जारी किया आदेश
दरअसल, जम्मू की जिला उपायुक्त अवनी लवासा ने बुधवार सुबह आदेश दिया। इसमें कहा गया कि यदि कोई व्यक्ति एक साल से जम्मू में रह रहा है, तो उसे वोटिंग का अधिकार होगा। इसके लिए तहसीलदारों को आवास प्रमाण पत्र जारी करने के अधिकार दिए गए हैं, ताकि लोगों को वोटर लिस्ट में रजिस्ट्रेशन करने में परेशानियों का सामना ना करना पड़े। आदेश में उन दस्तावेजों की लिस्ट भी जारी की है, जिन्हें निवास के प्रमाण के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है, जैसे आधार कार्ड, भारतीय पासपोर्ट।
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के पहले वोटर लिस्ट में 76 लाख वोटर थे
धारा 370 और 35ए के रहते वहां पंचायत से लेकर विधानसभा चुनावों तक केवल स्थानीय नागरिकों को ही वोट डालने का अधिकार था। इन दोनों धाराओं के हट जाने के बाद अब जो भी भारतीय वहां रह रहा है या ड्यूटी कर रहा है, अपना नाम वोटर लिस्ट में जुड़वा सकता है यानी कश्मीर में वोट डाल सकता है। वहां रह रहे गैर कश्मीरियों की संख्या काफी है। धारा 370 हटने के पहले की वोटर लिस्ट में कुल 76 लाख वोटर थे। नए नियमों के तहत तकरीबन 25 से 27 लाख नए वोटर जुड़ जाएंगे। इसमें छात्र, मजदूर और अन्य सरकारी कर्मचारी शामिल होंगे।

