दिल्ली हाईकोर्ट में नए दंड कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) में अननैचुरल सेक्स से जुड़े अपराधों के लिए प्रावधान शामिल किए जाने पर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने पूछा कि क्या BNS बिना सहमति के बनाए गए शारीरिक संबंधों की परमिशन देता है।
एक्टिंग CJ मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने सवाल किया कि क्या BNS धारा 377 के प्रावधानों के छूट जाने का मतलब यह निकाला जाए कि ऐसे कृत्य अब अपराध नहीं जाएंगे।
बेंच ने इस मामले पर केंद्र की तरफ से पेश हुए वकील अनुराग अहलूवालिया को 10 दिन में सरकार का रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।
अब निरस्त हो चुकी भारतीय दंड संहिता की धारा 377 किसी भी पुरुष, महिला या पशु के साथ अननैचुरल सेक्स को अपराध मानती थी।
याचिका में दावा- इसका शामिल न होना LGBTQ समुदाय के लिए खतरा
दरअसल, गंतव्य गुलाटी नाम के शख्स ने यह याचिका लगाई थी। इसमें कहा गया है कि देश में निरस्त हो चुकी भारतीय दंड संहिता (IPC) में शामिल धारा 377 के प्रावधान BNS से बाहर रखे गए हैं। इसके खिलाफ मंगलवार (12 अगस्त) को दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि नए आपराधिक कानून में IPC की धारा 377 के प्रावधानों का न होना हर व्यक्ति, विशेषकर LGBTQ समुदाय के लिए खतरा पैदा करता है।
संसदीय समिति ने भी की थी सिफारिश
दिसंबर 2023 में गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को भारतीय न्याय संहिता में शामिल करने की मांग की थी। समिति ने कहा था कि भले ही भारतीय दंड संहिता निरस्त हो जाए, लेकिन धारा 377 वयस्कों के साथ गैर-सहमति और नाबालिगों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के अलावा पशुओं के साथ अननैचुरल सेक्स के केस में लागू होनी चाहिए।
समिति ने यह भी कहा था कि भारतीय न्याय संहिता 2023 में पुरुष, महिला, ट्रांसजेंडर के खिलाफ गैर-सहमति वाले यौन अपराध और पशुता के लिए कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए यह सुझाव दिया गया कि BNS में IPC की धारा 377 को फिर से लागू करना और बनाए रखना जरूरी है।
1 जुलाई से लागू हुए हैं 3 आपराधिक कानून
देश में अंग्रेजों के जमाने से चल रहे कानूनों की जगह 3 नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई से लागू हुए हैं। इन्हें IPC (1860), CrPC (1973) और एविडेंस एक्ट (1872) की जगह लाया गया है।
लोकसभा ने 21 दिसंबर 2023 को तीन बिलों भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता बिल पास किए थे। 25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इन बिलों पर दस्तखत किए थे।
मर्डर करने पर धारा 302 नहीं, 101 लगेगी। धोखाधड़ी के लिए फेमस धारा 420 अब 318 हो गई है। रेप की धारा 375 नहीं, अब 63 है। शादीशुदा महिला को फुसलाना अब अपराध है, जबकि जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध अब अपराध की कैटेगरी में नहीं आएगा। ये बदलाव 1 जुलाई से देशभर में तीन नए क्रिमिनल कानून लागू होने से हुए हैं। नए क्रिमिनल कानूनों में महिलाओं, बच्चों और जानवरों से जुड़ी हिंसा के कानूनों को सख्त किया गया है। इसके अलावा कई प्रोसीजरल बदलाव भी हुए है, जैसे अब घर बैठे e-FIR दर्ज करा सकते हैं।

