दिल्ली के राउ IAS कोचिंग इंस्टीट्यूट में तीन छात्रों की मौत के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने MCD को जमकर फटकार लगाई। एक्टिंग चीफ जस्टिस (ACJ) मनमोहन और जस्टिस तुषार राव की बेंच ने कहा- इस तरह की घटनाएं सिस्टम का फेल्योर है। ये सब मिलीभगत से हुआ है। सभी ब्लेम-गेम खेल रहे हैं। किसी एक की जिम्मेदारी तय करनी होगी।
MCD अधिकारियों से पूछो कि नाली कहां है तो नहीं बता पाएंगे, क्योंकि वे अपने AC ऑफिस से बाहर ही नहीं निकलते। सिर्फ जूनियर अधिकारियों को सस्पेंड करके मामले का हल नहीं निकलेगा।
कोर्ट ने कल तक कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। साथ ही कहा- अगर जांच अधिकारी ने ठीक से जांच नहीं की तो यह केस सेंट्रल एजेंसी को सौंप सकते हैं। अगली सुनवाई 2 अगस्त को होगी। MCD डायरेक्टर को अगली तारीख पर हाजिर होने का आदेश दिया है।
वहीं, MCD के एडिशनल कमिश्नर ने राऊ कोचिंग के बाहर प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स से मुलाकात की। साथ ही AAP सरकार के कैबिनेट मंत्रियों ने सचिवालय में यूपीएससी की तैयारी कर रहे अभ्यार्थियों के प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात की।
सचिवालय में कोचिंग संस्थानों को रेग्यूलेट करने पर चर्चा हुई
सचिवालय में दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी, शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज, विकास मंत्री गोपाल राय और मेयर शेली ओबेरॉय मौजूद रहे। ओल्ड राजिंदर नगर, नेहरू विहार में मौजूद अलग-अलग कोचिंग हब में तैयारी कर रहे UPSC स्टूडेंट्स के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
बैठक में स्टूडेंट्स ने कोचिंग सेंटरों की महंगी फीस, सेंटरों के बुनियादी ढांचे, कमरों का ज्यादा किराया और ब्रोकरेज पर चिंता जताई। साथ ही अच्छे खाना नहीं मिलने की भी बात कही। शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि स्टूडेंट्स की इन शिकायतों को कोचिंग सेंटर के लिए बनाए जा रहे रेगुलेशन कानून में शामिल किया जाएगा।
याचिकाकर्ता के वकील: राजेंद्र नगर में जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण से भी अधिक है। 2019 में एक होटल में आग लगने से एक IRS और एक विदेशी की मौत हो गई थी।
याचिकाकर्ता के वकील: अनाज मंडी केस, मुखर्जी नगर अग्निकांड, मुनरेका घटना और बेबी केयर अग्निकांड भी हमने देखे। ऐसा लगता है कि हम जंगल में रह रहे हैं, जहाँ लोग आग और पानी से मर रहे हैं।
याचिकाकर्ता के वकील: इस साल 26 जून को राउ IAS कोचिंग के अवैध संचालन के संबंध में एक लेटर भेजा गया था, उसके बाद दो रिमाइंडर भेजे गए लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।
याचिकाकर्ता के वकील: अगर समय रहते कार्रवाई की जाती तो उन तीन लोगों की जान बच सकती थी। इसके लिए हाई लेवल कमेटी की जरूरत है, ताकि पता चल सके कि अधिकारियों को कार्रवाई करने से किसने रोका।
कई लाइब्रेरी रिहायशी इलाकों में बेसमेंट में चल रही हैं। MCD चुप है, पता नहीं क्यों। कई मौजूदा कमिश्नरों की वहां प्रॉपर्टी है। यह एक कड़वी सच्चाई है। पटेल नगर, करोल बाग, राजेंद्र नगर में कई मल्टीस्टोरी बिल्डिंग हैं। एक बिल्डिंग में करीब 50-60 छात्र रह रहे हैं। यहां तक कि बेसमेंट को पीजी के तौर पर चलाया जा रहा है।

