हेमंत सोरेन झारखंड के 13वें मुख्यमंत्री बने। जेल से निकलने के छठे दिन ही उन्होंने राज्य की कमान एक बार फिर से अपने हाथ में ले ली है। 24 साल के झारखंड में वे 13वें सीएम बन गए।
इसके साथ ही तीसरी बार राज्य के सीएम पद की शपथ लेने वाले वे तीसरे सीएम बन गए हैं। उनसे पहले उनके पिता शिबू सोरेन और बीजेपी नेता अर्जुन मुंडा तीन बार सीएम पद की शपथ ले चुके हैं।
हेमंत सोरेन के इस शपथ को इसलिए भी खास माना जा रहा है कि 31 जनवरी को जिस राजभवन से उनकी गिरफ्तारी हुई थी, 156 दिन बाद दोबारा फिर से उन्होंने वहीं शपथ ली। हेमंत सोरेन इसे अपनी जीत और बीजेपी के षडयंत्र की हार बता रहे हैं।
मंत्रियों के चेहरे पर अभी तक नहीं बन पाई है सहमति
राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में अकेले हेमंत सोरेन को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने सीएम पद की शपथ दिलाई। उनके साथ कैबिनेट के किसी मंत्री ने शपथ नहीं ली है। सूत्रों की माने तो मंत्रियों के नाम अभी तक तय नहीं पाए हैं ऐसे में इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि तीन महीने के लिए हेमंत कैबिनेट में नए चेहरे को भी जगह मिल सकती है। अगले एक से दो दिनों में इनके नाम फाइनल होने की संभावना है।
मंत्रिमंडल बदलाव की संभावना नहीं, बदल सकता है चंपाई का दायित्व
हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनने वाली नई सरकार में मंत्रिमंडल में बदलाव की संभावना नहीं है। कांग्रेस के कोटे के मंत्रियों के नाम में फेरबदल नहीं होंगे। मंत्रिमंडल में एक सीट पहले से खाली है। इस्तीफा देने के बाद चंपाई शायद मंत्री न रहें। हालांकि, उन्हें झामुमो का कार्यकारी अध्यक्ष या राज्य समन्वय समिति का चेयरमैन का अतिरिक्त दायित्व सौंपा जा सकता है।
कांग्रेस के दबाव में चंपाई का इस्तीफा?
सियासी गलियारे में चर्चा है कि चंपाई सरकार में कांग्रेस मंत्रियों-विधायकों का काम उतनी सहजता से नहीं हो रहा था, जितना हेमंत के कार्यकाल में हुआ करता था। कांग्रेस के साथ झामुमो के कई विधायकों का दबाव भी बदलाव को लेकर था। कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर हेमंत सोरेन से जेल में मिले भी थे। सोनिया गांधी ने भी सोमवार को हेमंत से बातचीत कर अपनी भावना से अवगत करा दिया था। सोनिया की सलाह थी कि लोकसभा चुनाव में झारखंड में इंडिया ब्लॉक को जो कामयाबी मिली है, उसके पीछे हेमंत सोरेन का ही चेहरा रहा है। इसलिए विधानसभा चुनाव भी उनके चेहरे पर लड़ा जाना चाहिए। इंडिया ब्लॉक को लगता था कि चंपाई सोरेन के CM रहते वोटर कन्फ्यूज हो सकते हैं।
गठबंधन नेताओं के दबाव में चंपाई को पद से इस्तीफा देना पड़ा। सत्ता के गलियारे में यह भी चर्चा है कि हेमंत सोरेन खुद भी CM बनना चाह रहे थे। नेतृत्व परिवर्तन के फैसले से चंपाई खुश नहीं हैं। विधायक दल की बैठक में उनके चेहरे पर इसका तनाव साफ दिख रहा था, लेकिन उन्होंने पार्टी के एक अनुशासित सिपाही के तौर पर बतौर CM पांच माह काम किया है।
2 फरवरी 2024 को वे सीएम बने थे चंपाई सोरेन
इस साल जनवरी में जमीन घोटाला मामले में हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा था। इसके बाद चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी मिली थी। 2 फरवरी 2024 को वे CM बने थे। वहीं, अब हेमंत सोरेन जमानत पर जेल से बाहर आ गए है। ऐसे में एक बार फिर से हेमंत सोरेन CM के तौर पर वापसी कर सकते हैं।

