Chandigarh/Atulya Loktantra : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर हो रहा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि हरियाणा सरकार यहां के किसानों की चिंता करेगी और ‘उसे दूसरे राज्यों की चिंता करने की जरूरत नहीं है’. खट्टर ने इस महीने के शुरुआत में ये बातें कहीं थीं.
उन्होंने दूसरे राज्यों से फसल खरीदने से मना कर दिया था. उनका यह बयान केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन नए किसान कानूनों (New Farm Laws) के बिल्कुल उलट है, जिसमें सरकार का कहना है कि किसानों को अपनी मर्जी के बाजार में अपनी मर्जी की कीमत पर फसल बेचने की अबाध स्वतंत्रता मिलेगी. खट्टर ने किसान कानूनों की तारीफ करते हुए 17 सितंबर को ये बातें कही थीं.
खट्टर ने कहा था, ‘हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हरियाणा के किसानों की मक्के और बाजरे की फसल पूरी तरह से खरीद ली जाए. हम ऐसा नहीं होने देंगे कि दूसरे किसान ये उपज हमारे राज्य में बेचकर मुनाफा कमाएं. हमें अपने राज्य के किसानों की चिंता करनी है, हमें दूसरे राज्यों की चिंता करने की जररूत नहीं है.’
उन्होंने कांग्रेस पर मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया. विपक्षी पार्टियां इन किसान कानूनों का विरोध कर रही हैं और उनकी मुख्य आपत्ति इन्हें सदन में पास कराए जाने के तरीके को लेकर है. उनका आरोप है कि ये विधेयक नियमों को तोड़ते हुए ध्वनि मत से पारित करा दिए गए थे. मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि कांग्रेसशासित राज्य जैसे पंजाब और हरियाणा मक्के और बाजरे की फसल MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर नहीं खरीद रहे, जिससे इन राज्यों के किसान अपनी उपज हरियाणा में बेचने को मजबूर हो रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस इसपर राजनीति कर रही है लेकिन मेरा उनसे एक सवाल है. पंजाब और राजस्थान में उनकी खुद की सरकारें मक्के और बाजरे के लिए क्यों ऐसा नहीं कर रही हैं? हम दूसरे राज्यों से मक्का और बाजरा नहीं खरीदेंगे, क्योंकि इससे हमारा नुकसान होता है. यह हरियाणा के किसानों का हिस्सा है.’
बता दें कि इसी बीच सोमवार को उत्तर प्रदेश के 50 किसानों को हरियाणा की सीमा पर रोक दिया गया. ये किसान अपनी उपज लेकर सरकारी मंडी में बेचने के लिए हरियाणा के करनाल जा रहे थे, तभी उन्हें सीमा पर ही रोक दिया गया था. कहा जा रहा है कि जिला प्रशासन कथित रूप से यह सुनिश्चित करना चाहता था कि यही फसल उपजाने वाले स्थानीय किसानों को वरीयता दी जाए- जैसा पहले कभी नहीं हुआ है. हालांकि, हरियाणा सरकार का कहना है कि गैर-बासमती किस्मों के चावल बेच रहे किसानों को पहले हरियाणा सरकार के एक पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा और फिर अपनी बारी का इंतजार करना होगा.